जब तक भारतीय संविधान में काश्मीर सम्बंधित धारा 370 और 35 A था, भारत का कॉर्पोरेट बुर्जुवा गैंग काश्मीर में सम्पत्ति हासिल नही कर सकता था।भारतीय संविधान से काश्मीर सम्बंधित धारा 370 और 35A हटाने के पीछे अन्य बातों के अलावा मुख्य मकसद कॉर्पोरेट बुर्जुवा वर्ग को यह अधिकार(आजादी) दिलाना भी था। कॉर्पोरेट बुर्जुवा गैंग को इस आजादी को दिलाने के लिये मोदी सरकार ने पीसीबले साल अगस्त में संविधान की धारा 370 और 35A निरस्त कर दिया।
चुकि यह कदम काश्मीरी लोगो की सहमति के बिना लिया गया था और इसके प्रचण्ड विरोध होने की संभावना थी, मोदी सरकार ने कश्मीरी लोगो की अभिव्यक्ति के सारे साधनों पर अंकुश लगा दिया और पिछले एक साल से काश्मीर में भारी मात्रा में सेना और पुलिस की देख रेख में एक तरह का लॉक डाउन लगा हुआ है।
काश्मीर में पिछले एक साल से जिस फासीवादी दबाव और अभिव्यक्तिहीनता के दमघोटू माहौल में लोग जी रहे है इसने बुर्जुवा सरकार के तथाकथित 'जनतांत्रिक' चेहरे को सरेआम बेपर्द कर दिया है और निरंकुश फासीवादी चेहरा एक चुनौती के रूप में कश्मीरी और भारीतय मिहनतकस जनता के समक्ष आ खड़ा हुआ है।
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