कॉर्पोरेट गैंग की चहेती फासीवादी भाजपा सरकार ने किसानों को तीन अध्यादेश तोहफे के रूप में दिया है जिसका व्यापक विरोध हो रहा है।
वे तीन अध्यादेश है:
1.फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस
2. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव
3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस
ऐसा भी कहा जा रहा है कि यह विश्व बुर्जुवा संस्थान WTO के इशारे पर किया जा रहा है, जिसका मकसद है -कृषि उत्पाद के व्यापार को पूरी तरह बाजार के हवाले कर देना और कृषि क्षेत्र में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से कॉर्पोरेट घुसपैठ को सुगम बनाना।
ऐसा कहा जा रहा है कि यह कदम छोटे किसानों के पूंजीवादी सम्पत्तिहरण की प्रक्रिया को और तेज करेगा।
हमारा यह मानना है कि पूंजीवाद छोटे किसानों को एक ही चीज दे सकता है- बदहाली भरी जिंदगी और सम्पत्तिहरण।प्रश्न केवल इतना है कि इस पीड़ादायक प्रक्रिया में वक्त कितना लगनेवाला है।
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