2015 मैं फेसबुक पर मन्दी के सवाल पर लंबी लंबी बहस छिड़ी थी। उस बहस में बिगुल के कॉमरेड अभिनव सिंहा ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और अपनी पत्रिका बिगुल और आह्वान में छपे मन्दी के लेखों के बारे में अपनी राय रखी थी। बिगुल और आह्वान के लेखों के हवाले से उस बहस में हमने यह दावा किया था कि बिगुल और आह्वान के लेखों में मन्दी के सवाल पर व्यक्त किये गए विचार अल्पउपभोगवाद (under- consumption) से ग्रस्त है। हालांकि उस समय कामरेड अभिनव सिन्हा और बिगुल के साथियो ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया था, लेकिन हाल ही में, 2021 में कात्यानी और अभिनव सिंहा द्वारा लिखे एक पोस्ट में मन्दी के सवाल पर अल्प-उपभोगवाद के प्रभाव को निम्न शब्दो मे स्वीकार किया गया:
We never subscribed to under-consumptionism school and belonged mainly to the overproduction thesis. However, we cannot say that under-consumptionism had no influence on our thinking.
A Short Note on Something That Is Obvious but Which Certain Folks Do Not Understand. -Abhinav and Kavita Krishnapallavi
मन्दी के सवाल पर इस छोटी सी पुस्तिका में हमने पूंजीवाद में मन्दी की मार्क्सवादी व्याख्या प्रस्तुत करने की कोशिश की है, जिसे 2017 में ही लिखा गया था। साथ मे मन्दी पर 2015 में चले बहस को भी भी हमने रखा है।
उम्मीद है, मन्दी के कारणों को समझने में यह पुस्तिका सहायक सिद्ध होगी।
एम के आज़ाद
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