Tuesday, 25 May 2021

काले दिन और काली रातों से गुजरते हुए ! -नरेंद्र कुमार


अंधेरी काली रात में तारे जगमगाते हैं 
चांद आता है और
रोशनी कर अंधेरे को भगाता है 
 छिपा लेता है चांद तारों को
 गहराती काली रात का अंधेरा इठलाता है
रोशनी चाहने वालों 
अब नहीं देख पाओगे सितारों का नजारा 
उजाले के साथ अंधेरे से
 उज्जवल धवल चमकते दिन 
और चांदनी रात की तरह 
काली रातों को भी प्यार करना सीखो 
जो लोग कालिमा में हीनता का भाव देखते हैं 
जो लोग रंगभेद के सौंदर्यशास्त्र में
 काले रंगों के सौंदर्य को नहीं समझते हैं
 उनके लिए मेरा सौंदर्य काले बादलों से निखरता है 
हमारा सौंदर्य 
फौलादी काले इस्पात से आकार लेता है 
हमारा सौंदर्य 
काली रात और काले बादलों से घिर गए 
कालिमा को विस्तार देता
तूफान के समय के काले दिन में भी
 विस्तार पाता है
काला रंग का अपना एक अर्थ है
शब्दों के आगे खड़ा होकर
यह शब्द का अर्थ बदल देता है 
इसलिए किसी रंग का सौंदर्य
 किसी रंग से नहीं जुड़ा है
 काले रंग का और सभी रंगों का सौंदर्य
 उसके पीछे खड़े संज्ञा से जुड़ा है 
किसी भी देश और समाज का सौंदर्य
 सिर्फ उसके रंगों से तय नहीं होता है
 उस रंग के पीछे खड़े लोगों के 
संघर्ष के इतिहास और संघर्ष के इरादे
 सृजन की उनकी आकांक्षा और 
उनकी गतिशीलता से तय होता है 
काला रंग प्रतिरोध का रंग है 
लेकिन यह अंधेरे का भी प्रतीक है 
काला फौलाद संघर्ष और 
काले ऑक्सीजन के सिलेंडर
जीवन का प्रतीक है
अंधेरी रातों में साजिश रचे जाते हैं
और हत्या के मंसूबों को अंजाम देते वक्त 
रात का अंधेरा
काली रात का प्रतीक
हमें डराता भी है 
मनुष्य के लिए यह भयावह  है
लेकिन उसी काली रात के अंधेरे में
युवा जोड़ियां आलिंगनबद्ध हो
मनुष्य की नई पीढ़ियों के
सृजन के नीव  भी रखते हैं

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