Friday, 28 May 2021

नक्सलबाड़ी दिवस पर...विश्वविजय



जंगल हारा नहीं है कभी

हे राम !
जब तुमने
धर्म की रक्षा में
शूद्र शम्बूक की हत्या की
तब
ऐसा नहीं हो सकता कि
शम्बूक के वंशजों ने
तुम्हारे विरुद्ध तीर न चलाएं हों।
हे राम !
जब तुम
जंगल - जंगल भटक रहे थे
अपनी पत्नी और भाई के साथ
तब
जंगल की एक बेटी ने
तुम्हारे भाई के सामने
प्यार का इजहार किया
और तुम्हारे भाई ने
'धर्म' की रक्षा में
प्यार पर तलवार चलाया
और जंगल की बेटी
सूर्पनखा हो गयी।
हे राम!
जब
प्यार पर तलवार  चली
तब
पूरा जंगल ही गरमाया
छिड़ गया युद्ध
जो रामायण कहलाया ।
ऐसा नहीं कि , उस युद्ध में
तुम्हारे विरुद्ध तीर न चलें हों
मारे गए थे
ढेर सारे लोग तुम्हारे भी
यहाँ तक कि
प्रेमद्रोही लक्ष्मण
युद्ध भूमि में मूर्छित पड़ा था
तब तुमने
युगत लगाया
विभीषण को मुखबिर बनाया
जिसने सारा राज बताया
और युद्ध में तुम
विजयी घोषित हुए ।
हे राम!
आज
जब
तुम्हारे ही मनसूबे पाले लोग आये
जंगल की हरियाली का शिकार करने
जंगल की ओर से
जहर बुझे तीरों की बौछार हुई थी
तिलका मांझी के तीर से
छेदे , बेधे गए थे गोरे अंग्रेज
वैसे, इस युद्ध में
गोरे एक कदम पीछे हटे थे
और लौट गए अपने देश
वैसे ही जैसे
तुम लौटे थे
मुखबिर विभीषण को सत्ता सौंपकर
हे राम!
जानते हो फिर क्या हुआ?
उलगुलान का नायक
तिलका मांझी शहीद हो गया
और लड़ाई की कमान
जंगल संथाल ,चारु मजूमदार ने सम्हाल ली थी
नक्सलबाड़ी में तो
वह घमासान हुआ कि
बस पूछो मत
जंगल पहाड़ की चिंगारी
गाँव - जवार में फैल गई थी
मुट्ठियाँ लहराते लोग
अमार बाड़ी तुमार बाड़ी!
नक्सलबाड़ी  नक्सलबाड़ी !!
का नारा लगा रहे थे
हे राम!
यह युद्ध
तबसे अब तक
चलता ही आ रहा है
जल - जंगल - जमीन पर
कब्जेदारी की उम्मीद
न तुम्हारे पक्ष के लोगों ने छोड़ी
न ही जंगल की ओर से
उसे बचाने की लड़ाई जंगल के लोगों ने छोड़ी ।
हे राम!
यह देखो
सेना के लोग
चले आ रहे हैं, बढे आ रहे हैं
जंगलों में जगह - जगह
कैम्प लगा रहे हैं
जंगल की बेटियाँ
उनके  हिंसक खूनी दांतों से काटे जाने से
खून से लतफत हैं
जंगल के बेटे लहूलुहान हैं
उनकी बंदूकों की गोलियों से
अभी - अभी
बस्तर के जंगलों में
बढ़े आ रहे , चढ़े आ रहे
सिपाहियों को
खबरदार ! ही तो कहा था
बदले में बस्तर के बेटी, बेटों का सीना
छलनी कर दिया था सिपाहियों ने
खबरदार!!
प्रेमद्रोही , रवायत के लोगों
हरियाली के शिकारियों
खबरदार!!
जंगल मे उलगुलान का नारा
फिर से गूंज उठा है
और जंगल के लोगों ने
ज़हर बुझे तीर के साथ - साथ
बंदूक की गोलियाँ चलाने लगे हैं
बारूदी सुरंग बिछाने लगे हैं
इसलिए
इस युद्ध में
हार किसकी होगी?
यह तय नहीं है अभी
वैसे
जंगल हारा नहीं है कभी।

                           #विश्वविजय

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