Saturday, 29 May 2021

तुम्हारी मेहनत के मालिकाने की खातिर- विद्यानन्द

तुम्हारी मेहनत के मालिकाने की खातिर
धर्म बना और जाति बनी
रंग बना और नस्ल बना
देश बने साम्राज्य बने 
ऊंच नीच के ताने बाने बने
मनुवाद और ब्राह्मणवाद बना
नफरत बना हिंसा बनी
तोपें और बंदूकें बनीं
सत्ता और सियासत बनी
व्यूह बने, षड्यंत्र बने
छल प्रपंच और फरेब बना
तुम्हे तुमसे ही अलग करने के बहाने बने।

सारे फसाने बिखर जाएंगे
सियासतें और सरहदें 
तोपें और बंदूकें भी
तिकड़म और षड्यंत्र भी
नाकाम हो जाएंगी साजिशें
खत्म हो जाएगा ताकत का दम्भ
जिस दिन उठ खड़े होंगे तुम
गुलामी की बेड़ियों को तोड़
तुम्हारी मेहनत आजाद होगी
हुक्मरानों के चंगुल से
सारी दुनिया तुम्हारी होगी
जाति धर्म का पाखंड
ब्राह्मणवादी दम्भ
धरासाई होंगे सारे
सारे मेहनतकश होंगे
और एक सुंदर दुनियां 
जिसमें तुम होंगे
सिर्फ तुम और तुम्हारी मेहनत
मालिकों से मुक्त
मिल्कियतों से परे
एक खूबसूरत दुनियां।

विद्यानन्द

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