Sunday, 2 May 2021

इलिका -भगतसिंह

क्या होता यदि 
आज तुम होते? 
आज भी तुम्हारे आंखों के सामने 
हाहाकार मचाते लोग होते
पढ़े-लिखे
बेरोजगारों की भीड़ दिखती,
सड़कों पर 
आंदोलन करते  किसान दिखते,
लाठी खाते छात्र दिखते,
अंधविश्वास की परछाई दिखती
जातिवाद का प्रकोप दिखता
गुहार लगाते शिक्षक दिखते
असुरक्षित महिलाएँ दिखती
कुपोषित बच्चे दिखते
जमीन की लूट दिखती
उजड़ते जंगल दिखते
पहाड़ों की छाती चीरकर 
खनिज संपदा की लूट दिखती
ग्रामीणों का असंतोष दिखता
शोषित जनता का रोष दिखता
और उनके उपर
नक्सली होने का ठप्पा दिखता
गांव गांव में खून का धब्बा दिखता
यह सब देखकर तुम क्या करते?
शायद वही
जो उस वक्त किये थे
और तुम्हारा ठिकाना क्या होता ?
वही जो उस वक्त था
और तब, 
तुम्हारे सपनों को
आज चूर करने  और 
दिखावे के लिए 
तुम्हारी मूर्ति पर
 माला चढ़ाने वाले 
तुम्हारे नाम का वारंट निकलवाते
तुम्हे जरूर हार्डकोर  नक्सली बताते। 

 शहीद -ए -आजम 
यदि आज तुम होते 
तो तस्वीर कुछ ऐसी ही होती
क्योंकि तुम्हारे सपने
अब भी है अधूरे 
और तुम्हारे सपनों  को
पूरा करने की
चाह रखने वाले
गुजर रहे हैं आज
 इसी दौर से
पर वे दुखी नहीं है 
 इस शोषण के बावजूद 
वे बढ़ रहे हैं 
इसी उम्मीद के साथ 
 कि एक न एक दिन 
पूरे कर सकेंगे तुम्हारे सपने।।
✊✊✊✊✊✊
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इलिका

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