अस्मत लूट कर, जश्न मनाते हो
जिस्म जलाकर, जश्न मनाते हो
अरे मनु के औलादों,
कैसा प्रपंच रचाते हो
करके बलात्कार
पीड़िता पे सवाल उठाते हो
वहशी दरिंदों, बेशर्मों
अपने कुकर्मों को छुपाते हो
इतना पाक साफ रहते हो तो
रात मे क्यों जलाते हो
दबे कूचले लोगों पर,
सितम तुम उठाते हो
कर्मो से नीच तुम,
औरों को नीच बताते हो
ढोंग, पाखंड से बना
कहानी तुम सुनाते हो
होलिका भी जली,
मनीषा भी जली
पर मनीषा को जलाकर
होलिका की याद दिलाते हो
अरे, मनु के औलादों, जानते है
औरों की बहन, बेटियों की
अस्मत लूट कर,
अपने कुकर्मों को छुपाने
रात मे होलिका जलाते हो ।
डॉ. अनिता कुर्रे ।
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