हमें इस बात से,
कुछ लेना देना नहीं,
कि प्रहलाद किसकी भक्ति करता था,
हमें इस बात से भी कुछ लेना देना नहीं,
कि हिरण्याकश्यप अमर था,
हमें इस बात से भी कुछ लेना देना नहीं,
विष्णु ने अमर हिरण्या कश्यप को नरसिम्हा बनकर मार डाला,
हमें अगर लेना है तो इस बात से लेना है,
कि होलिका के पास जो अग्नि में ना जलने वाला वस्त्र था,
जिसे ओढ़कर प्रहलाद मौत के मुंह से निकल आया था,
वह अग्निमुक्त वस्त्र कहां है?
उसको बनाने की तकनीक कहां है?
हिरण्या कश्यप और होलिका वैज्ञानिक रूप से,
इतने स्रमद्ध थे कि उन्होंने अग्नि मुक्त वस्त्र बना डाला?
ऐसा लगता है,
उस अग्निमुक्त वस्त्र की जानकारी,
विष्णु को नहीं थी,
होती तो वह होलिका को जिन्दा नहीं जलने देता!
सोच कर देखिए,
प्रहलाद और नरसिंह ने समाज को क्या दिया?
जिस अग्निमुक्त वस्त्र की तकनीक से पूरी दुनिया का भला हो सकता था,
उसे नष्ट कर दिया,
ऐसे भगवान और भक्त को तो भूल जाना ही भला!
एक निर्दोष नारी को जिन्दा जलाया जाना,
नारी का ही नहीं,
बल्कि धर्म का भी अपमान है,
ये ही दुष्टों का अभिमान है,
आओ,
समाज और मानवता की भलाई के लिए,
अग्निमुक्त वस्त्र बनाने वाले,
हिरण्यकश्यप और
होलिका से माफी मांगे!
होली के त्योहार को मन से त्यागें!
*जोगेन्दर सिंह*
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