हमें ऐसी कविताओं की जरूरत है
जिनमें खून के रंग की आभा हो
और दुश्मनों के लिए आती हो जिनसे
यमराज के भैंसे की घंटी की आवाज!
कविताएँ
जो आतताइयों के चेहरे पर
सीधा वार करती हों
और उनके गरूर को तोड़ती हों!
कविताएँ
जो लोगों को बताएँ
कि मृत्यु नहीं, जीवन
निराशा नहीं, आशा
सूर्यास्त नहीं, सूर्योदय
प्राचीन नहीं, नवीन
समर्पण नहीं, संघर्ष!
कवि, तुम लोगों को बताओ
कि सपने सच्चाई में बदल सकते हैं
तुम आजादी की बात करो
और धन्नासेठों को सजाने दो
थोथी कलाकृतियों से अपनी बैठकें!
तुम आजादी की बात करो
और महसूस करो लोगों की आँखों में
जनशक्ति की वह ऊष्मा
जो जेल की सलाखों को
सरपत घास की तरह मरोड़ देती है
ग्रेनाइट की दीवारों को ध्वस्त करके
रेत में बदल देती है!
कवि,
इससे पहले कि यह दशक भी
अतीत में गर्क हो जाय
तुम जनता के बीच जाओ और
जन संघर्षों को आगे बढ़ाने में
मदद करो !
-- ए एन सी कुमालो (अफ़्रीकी कवि)
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