Monday, 28 December 2020

मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ यादगार रचनाओं के अंश :


कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यों रात-भर नहीं आती
आगे आती थी हाले-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती
हम वहाँ हैं जहाँ से हमको भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती
****
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्ही कहो कि ये अन्दाज़े-गुफ़्तगू क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है
***
इशरत-ए-कतरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द  का  हद  से  गुज़रना  है  दवा  हो जाना ।
***
दिले-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है ।
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दआ क्या है ।
हमको उनसे है वफ़ा की उम्मीद
जो नहीं जानता वफ़ा क्या है ।
जान तुझपर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है ।
***
हमको मालूम है ज़न्नत की हक़ीकत लेकिन
दिल के खुश रहने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है
***
इश्क़ पे ज़ोर नहीं है ये आतिश ग़ालिब
कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे ।

--------       आदित्य कमल

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