,,ईश्वर की धारणा को सौंदर्य देकर तुमने उन जंजीरों को आकर्षक बनाने की कोशिश की है जिनसे वे लोग मजदूरों और किसानों को जकड़ते है।,,,
,,यह खयाल गलत है कि ईश्वर की धारणा सामाजिक भावना को जगाती और संगठित करती है।,,,
,,,ईश्वर की धारणा ने हमेशा ही सामाजिक अनुभूतियों को कुंठित किया है और उन्हें सुलाया है और हमेशा ही जीवित की जगह मृत को प्रतिष्ठित किया है।यह धारणा हमेशा दासता की प्रतीक रही है।ईश्वर की धारणा ने कभी व्यक्ति को समाज से जोड़ा नहीं।इसने हमेशा शोषित वर्ग के हाथ पैर जकड़ कर उसे शोषकों की महानता में आस्था के साथ जोड़ा है।
,,,तुम्हारे अच्छे स्वास्थ की कामना करता हूं।
( लेनिन संकलित रचनाएं,,खंड,35,पृष्ठ,,127,29,,उद्धरण,,लेनिन ,धर्म संबंधी विचार पृष्ठ,42)
लेनिन के साथ गोर्की
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