फ्रेडरिक एंगेल्स..
हम छोटे किसानों के आम जन समुदाय को, उनकी संपूर्ण आर्थिक स्थिति, की खास ढंग की शिक्षा दीक्षा और उनके अलग थलग जीवन विधि से उत्पन्न पूर्वाग्रह को देखते हुए, जिनको पूंजीवादी अखबारों और बड़े जमींदार (आज के धनी किसान) यत्नपूर्वक जीवित रखते और पुष्ट करते हैं, अभी झटपट अपने साथ ला सकते हैं, जबकि उनसे ऐसे वादे करें जिनके बारे में हम खुद जानते हैं कि हम उनका पालन नहीं कर सकेंगे। यानी, हमें उनसे यह वादा करें कि उन्हें आक्रांत करने वाली सभी आर्थिक शक्तियों से उनकी संपत्ति की हर हालत में रक्षा की जाएगी, बल्कि उन्हें उन भारों से भी मुक्त किया जाएगा जिनसे वह पहले ही दबे हुए हैं: काश्तकार को स्वतंत्र भूमिधर किसान बना दिया जाएगा और बंधक के बोझ से दबकर दम तोड़ते हुए खेत के मालिकों के कर्जे भरे जाएंगे। यदि हम ऐसा भी कर सकें, तो हम फिर उस बिंदु पर पहुंच जाएंगे, जहां से वर्तमान स्थिति अनिवार्यता: फिर नए सिरे से उत्पन्न होगी। हम किसानों को मुक्ति नहीं, सिर्फ मोहलत दिलाएंगे।
लेकिन हमारा हित इस बात में नहीं है कि किसानों को रातों-रात अपनी और कर लें, ताकि अगले दिन ही हमारे अपने वादे पूरे ना हो सकने के कारण वह हाथ से निकल जायें। जिस तरह सदा के लिए मालिक बनाने का स्वपन दिखाने वाला छोटा दस्तकार पार्टी सदस्य के रूप में हमारे लिए बेकार है, उसी तरह वह किसान भी बेकार है, जो आशा करता है कि हम छोटी जोत रूपी उसकी संपत्ति को स्थायित्व प्रदान करेंगे।
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