Friday, 16 October 2020

एंगेल्स - "फ्रांस और जर्मनी में किसानों का सवाल"

  

एंगेल्स लिखते हैं-

"अतः ऐसा वादे करने से, जैसे कि यह कि हम छोटी जोत को स्थायी रूप से बरकरार रखना चाहते हैं, हम पार्टी का और छोटे किसानों का और बड़ा अहित नहीं कर सकते। ऐसी करने का मतलब सीधे-सीधे किसानों की मुक्ति का मार्ग अवरुद्ध कर देना। और पार्टी को हुल्लड़बाजी यहूदी विरोधियों के निम्न स्तर पर ले आना होगा। इसके विपरीत, हमारी पार्टी का यह कर्तव्य है कि किसानों को बारम्बार स्पष्टता के साथ जताये कि पूंजीवाद का बोलबाला रहते हुए उनकी स्थिति पूर्णतया निराशापूर्ण है, कि उनकी छोटी जोतों को इस रूप में बरकरार रखना एकदम असंभव है, कि बड़े पैमाने का पूंजीवादी उत्पादन उनके छोटे उत्पादन की अशक्त, जीर्ण-शीर्ण प्रणाली को उसी तरह कुचल देगा, जिस तरह रेलगाड़ी ठेलागाड़ी को कुचल देती है। ऐसा करके  हम आर्थिक विकास की अनिवार्य प्रवृत्ति के अनुरूप कार्य करेंगे। और यह विकास एक ना एक दिन छोटे किसानों के मन में हमारी बात को बैठाये बिना नहीं रह सकता।

... मझोला किसान जहां छोटी जोत वाले किसानों के बीच रहता है, वहां उसके हित और विचार उनके हित और विचारों से बहुत अधिक दिन नहीं होते। वह अपने तजुर्बे से जानता है कि उसके जैसे कितने ही छोटे किसानों की हालत में पहुंचे जा चुके हैं। जहां मझोले और बड़े किसानों का प्राधान्य होता है और कृषि के संचालन के लिए आम तौर पर खेतिहर मजदूरों की आवश्यकता होती है, वहां बात बिल्कुल दूसरी है, कहने की जरूरत नहीं है कि मजदूरों की पार्टी को प्रथमत: उजरती मजदूरों की ओर से, यानी खेत मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों की ओर से लड़ना है। किसानों से कोई वादा करना निर्विवाद से निषिद्ध है, जिसमें मजदूरों की उजरती गुलामी को जारी रखना सम्मिलित हो। परंतु जब तक बड़े और मझोले किसानों का अस्तित्व है, वे उजरती मजदूरों के बिना काम नहीं चला सकते। इसलिए छोटी जोत वालों किसानों को हमारा यह आश्वासन देना कि वह इस रूप में सदा बने रह सकते हैं जहां मूर्खता की पराकाष्ठा होगी, वहां बड़े और मझोले किसानों को यह आश्वासन देना गद्दारी की सीमा तक पहुंच जाना होगा"

~ फ्रांस और जर्मनी में किसानों का सवाल, फ्रेडरिक एंगेल्स

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