Friday, 16 October 2020

खेत मजदूर यूनियन कायम करने की जरुरत... लेनिन


"जमीन सारी जनता को।" यह ठीक है। लेकिन जनता वर्गों में विभाजित है। इस सच्चाई को हर मजदूर जानता है, देखता है, महसूस करता है, झेलता है, इसे बुर्जुआ वर्ग जानबूझकर छुपाने की कोशिश करता है और टुंटपुंजिया वर्ग हमेशा भूल जाता है।
तन्हा गरीब की कोई मदद नहीं करता। गांव के उजरती मजदूर, खेत मजदूर, दिहाड़ीदार, सबसे गरीब किसान और अर्द्ध-सर्वहारा अगर खुद अपनी मदद नहीं करते, तो उनकी मदद कोई "राज्य" नहीं करेगा। इसके लिए पहला कदम होना चाहिए देहाती सर्वहारा का स्वतंत्र वर्ग संगठन बनाना। 
(रूस में खेत मजदूर यूनियन कायम करने की जरूरत- लेनिन)

'हर हालात में और जनवादी भू व्यवस्था सुधार की हर परिस्थिति में देहाती सर्वहारा के स्वतंत्र संगठन के लिए अधिक रूप से कोशिश करना, उसे समझाना कि उसके और किसान बुर्जुआ वर्ग के हितों में अनम्य विरोध है, उसे चेतावनी देना कि छोटी खेती बाड़ी की व्यवस्था में उसकी आस्था भ्रममूल्क है क्योंकि वह माल उत्पादन के चलते जन- समूहों की गरीबी कभी दूर नहीं कर सकती और अंततः उसे सारी गरीबी और समस्त शोषण के उन्मूलन के एकमात्र रास्ते के रूप में पूर्ण समाजवादी क्रांति की आवश्यकता बताना पार्टी अपना कार्यक्रम निर्धारित करती है।'
(रूसी सामाजिक जनवादी मजदूर पार्टी के 1906 कांग्रेस में मंज़ूर कार्यक्रम से )

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