Monday, 7 September 2020

कविता / अगर आज पाश जिंदा होते तो क्या लिखते मनमीत



जीडीपी का गिरना सबसे खतरनाक नहीं होता
भूख से तड़पकर मर जाना सबसे खतरनाक नहीं होता
बेरोजगार होकर घर बैठ जाना
और बालकनी में थाली बजाना
सबसे खतरनाक नहीं होता

सबसे खतरनाक होता है
जनता का अंधविश्वास का गड्डा खोदना
और उस में सिर डाल कर
शुतरमुर्ग बन जाना

सबसे खतरनाक होता है
सियासत के अंधभक्त हो जाना
सब कुछ बिक जाना
और मजलूमों का जयकारों के शोर में खो जाना

सबसे खतरनाक वो पंचायत होती है
जहां रोटी, कपड़ा और मकान को छोड़
धर्म के नारे और जाहिली की बात होती है

सबसे खतरनाक वो सदर होता है
जो खाली पेटों में नफरत का
जहरीला बीज बोता है
और उस बीज से निकला पौधा
फल देने के बजाए, केक्टस बन जाता है

सबसे दकियानूस वो खबरनवीस होता है
जो हड्डी के ढांचों पर खड़े किसान की रूह को
खेत पर लुढ़क जाने के बाद 
अखबार के सोलहवें पेज पर 
ढाई इंच की भी जगह नहीं देता 

सबसे खतरनाक वो मुंसिफ होता है
जो करोडों के सिंहासन पर बैठ
गुरबत और जरूरत के बीच
राजीनामा कराता है

जीडीपी का गिरना सबसे खतरनाक नहीं होता
भूख से तड़पना सबसे खतरनाक नहीं होता
मुखिया की भृष्टाचार और लोभ की मुट्ठी 
सबसे खतरनाक नहीं होती.....

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