फ्रे. एंगेल्स को पढ़ते हुए :
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( छोटी जोतों की खेती के सन्दर्भ में फ्रेडरिक एंगेल्स के महत्वपूर्ण विचार )---
" छोटी जोत वाले किसानों को हम न तो आज और न ही भविष्य में कभी यह आश्वासन दे सकते हैं कि पूंजीवादी उत्पादन की प्रचंड शक्ति से उनकी व्यक्तिगत संपत्ति और उनके व्यक्तिगत उद्यम की रक्षा की जा सकती है ।हम उन्हें इतना ही आश्वासन दे सकते हैं कि हम बलपूर्वक , उनकी इच्छा के विरुद्ध , उनके स्वामित्व संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे ।इसके अलावा हम इस बात की हिमायत कर सकते हैं कि आइन्दा छोटे किसानों के विरुद्ध पूंजीपतियों और बड़े ज़मींदारों का संघर्ष अनुचित साधनों का कम से कम इस्तेमाल करते हुए चले और सीधे-सीधे की जानेवाली लूट-खसोट और ठगी , जो आजकल धड़ल्ले से चलती है , जहाँ तक संभव हो , बंद हो जाए ।अपने इस आग्रह में हम कुछ ही मामलों में , जो अपवादस्वरूप ही होंगे , सफल हो पाएँगे ।विकसित पूंजीवादी उत्पादन पद्धति में यह कोई भी नहीं बता सकता कि ईमानदारी और ठगी की सीमारेखा कहाँ पर है ।..........................................
अतः ऐसे वादे करने से, जैसे कि यह कि हम छोटी जोत को स्थाई रूप से बरकरार रखना चाहते हैं , हम पार्टी का और छोटे किसानों का और बड़ा अहित नहीं कर सकते । ऐसा करने का मतलब सीधे-सीधे किसानों की मुक्ति का मार्ग अवरुद्ध कर देना और पार्टी को हुल्लड़बाज़ यहूदी विरोधियों के निम्न स्तर पर ले आना होगा ।" ( फ्रेडरिक
एंगेल्स , ' फ़्रांस और जर्मनी में किसानों का सवाल ' )
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