ओशो के एक मित्र ने ओशो से कहा कि "मैं आपको अपनी माँ से मिलवाना चाहता हूं क्योंकि मेरी माँ बहुत धार्मिक है".. ओशो ने कहा "ठीक है, मैं मिलता हूं आपकी माँ से क्योंकि मुझे वैसे भी धार्मिक लोगों से मिलना पसंद है"
ओशो जब अपने मित्र की माँ से मिले तो मित्र की माँ ने ओशो से पूछा कि"तुम किताबें बहुत पढ़ते हो, आजकल क्या पढ़ रहे हो"
ओशो ने कहा "आजकल मैं कुरान पढ़ रहा हूं"
ये सुनकर मित्र की माँ नाराज़ हो गई.. कहने लगी कि तुम कैसे हिंदू हो जो क़ुरान पढ़ते हो, तुम्हें अपने धर्म की किताबें पढ़नी चाहिए"
बाद में ओशो ने अपने मित्र से कहा कि"तुम कहते थे तुम्हारी माँ धार्मिक है मगर वो धार्मिक नहीं "सांप्रदायिक" है"
बड़े सारे लोग आजकल आपको मिलेंगे जो स्वयं को धार्मिक कहते हैं.. मगर वो दरअसल धार्मिक होते ही नहीं हैं.. सांप्रदायिक होते हैं.. एक बड़ी बारीक लाइन है "धार्मिक" और "सांप्रदायिक" होने के बीच की.. इस का हमेशा ध्यान रखिए
~सिद्धार्थ ताबिश
No comments:
Post a Comment