Julmiram Singh Yadav ने निम्न पोस्ट डाला:
"हम यह उम्मीद करें कि द्रौपदी मुर्मू जी अपनी काया के साथ साथ अपनी स्वतंत्र आत्मा के साथ भी राष्ट्रपति पद पर विराजमान होंगी | भैंस की पड़िया जब मर जाती है तब किसान उसके चमड़े को निकाल कर उसमें भूसा भरकर एक नकली पड़िया बना देता है | भैंस इस भुलावे में उसे अपना बच्चा समझ कर अपना सारा दूध किसान को सौंप देती है | ऐसा आदिवासी जनता के साथ ना हो ऐसा सपना तो देखा जा सकता है."
इसके बाद इन्हें ट्रोल किया गया। उसका लिंक है: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02vdBMJxKoBt9bcg7RarMgjmQe7KptvrhDYTMo4gJ6Lh4bYxEpdbunffKzEaJ37aqhl&id=100001972431230
और आज उनके पास पुलिस का फ़ोन आया था उनका स्टेटमेन्ट लेने के लिए। कल वो जाने वाले है।
Complainant द्वारा झूठा दावा किया गया है कि पोस्ट में राष्ट्रपति मुर्मू के लिए आपत्तिजनक बाते कही गयी है। पोस्ट में तो उम्मीद व्यक्त की गई है कि राष्ट्रपति मुर्मू के रहते आदिवासियों का शोषण नही होगा।
Complainant का झूठा अभियोग निंदनीय है।
Patna के कामरेड नरेंद्र ने बहस में हस्तक्षेप करते हुए निम्न टिपण्णी की है:
मिस्टर सत्यदेव त्रिपाठी,उपध्याय, चंद्रा आदि आदि
आपलोगों की भाषा की द्ररिद्रता पर सिर्फ हंसा जाना चाहिए।
मिस्टर जुल्मी राम सिंह ने किसान जीवन की एक सामान्य परिघटना का जिक्र किया जो पशुपालक समाज में दूध देने वाले जानवरों को फुसलाने के लिए किया जाता है। आप लोग को इसमें घृणा, नीचता सब दिख गया। रोज रोज जब सत्ताधारी दलके द्वारा उत्पीड़ित समाज को ठगने फुसलाने के लिए ऐसे प्रतीकों का उपयोग किया जाता है,तो इसे कैसे कहा जाएगा? लगता है आप लोग ठगने वाले की जमात में खड़ा हो, इसलिए बुरा लगा। ठगों को ठग ही कहा जाना चाहिए।
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