Wednesday, 15 June 2022

मानवाधिकार : मुस्लिम महिलाओं के अधिकार - मुमताज़ अज़ीज़ नाज़ाँ


एक पाकिस्तानी महिला, जो अपने नाम का खुलासा नहीं करना चाहती है, कहती है, "इब्राहीमी आस्था के उदय के बाद से ही महिलाओं को ललचाने वाली दुष्ट शक्तियों  के तौर पर देखा जाता रहा है, जो पुरुषों को बहकाती हैं, जो रोते हुए मिथक पुरुषों को मूर्खता और मृत्यु के लिए प्रेरित करती थीं। उनका मासिक धर्म उन्हें गंदा और अशुद्ध बनाता है, उनकी योनि से बहने वाला रस शैतान का दिया हुआ लालच है। उसे मनुष्य के पतन और मानवता की परीक्षा के लिए दोषी ठहराया जाता है।" यह बयान उस छिपे हुए गुस्से का इज़हार है, जो महिलाओं में अपने साथ होने वाले अन्याय और भेदभाव से उपजा है, हालांकि उनमें इस मामले पर बोलने की हिम्मत नहीं है, बल्कि वे अपनी भावनाओं को छुपाना चाहती है.
यह उस भेदभाव की तस्वीर है, जिसका महिलाओं को प्रागैतिहासिक काल से लेकर आज तक सामना करना पड़ा है। पुरुषों के लिए एक महिला जरूरत पड़ने पर भोगी जा सकने वाली वस्तु, बच्चों को जन्म देने वाली मशीन और अपने क़ाबू में रखने लायक एक संपत्ति से अधिक कुछ नहीं है, हालांकि वह उसे एक दुष्ट चीज और शैतान का दूत भी मानता है। दरअसल महिलाओं को अपने वश में रखना पुरुष सत्तात्मक समाज की एक चाल है। यहां तक कि सदियों में उन्होंने महिलाओं के मन में भी इन विश्वासों को इस तरह भर दिया है कि वे भी यही मानने लगी हैं कि वे वास्तव में एक दुष्ट चीज हैं और उन्हें समाज में रहने की अनुमति देना पुरुषों का एहसान है, इसलिए उन्हें अधिकार है कि वे उसे चाहे पीटें, यातना दें, उसके साथ बलात्कार करें या उसके साथ जो चाहें, जब चाहें करें।
इस पुरुषसत्तात्मक दुनिया में, महिलाएं अपनी संरचना के कारण भी हमेशा व्यवस्थित हिंसा और भेदभाव की चपेट में रही हैं। आज की दुनिया में भी दृश्य ज़्यादा बदला नहीं है। अगर हम आंकड़ों पर एक नजर डालें तो हमें असली कहानी पता चलेगी।
• 2003 में, दुनिया भर में 35 प्रतिशत महिलाओं को शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार बनाया गया।
• ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इज़राइल, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका में घरेलू हिंसा में 40 से 70 प्रतिशत महिलाओं की हत्या होती देखि गई है। 
• दुनिया भर में 64 मिलियन से अधिक लड़कियां बालवधुएँ हैं, दक्षिण एशिया में 20 से 24 वर्ष की आयु की 46 प्रतिशत महिलाओं ने और पश्चिम और मध्य अफ्रीका में 41 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनकी पहली शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो चुकी थी। बाल विवाह के परिणामस्वरूप जल्दी होने वाली अवांछित गर्भावस्था दुनिया भर की किशोर लड़कियों के जीवन के लिए खतरा पैदा करती है। गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं 15 से 19 वर्ष की लड़कियों की मृत्यु का प्रमुख कारण हैं।
• नाइजीरिया में एक उपचार केंद्र ने सूचित किया है कि यौन संचारित संक्रमणों के उपचार के लिए आने वाली 15 प्रतिशत महिला रोगियों की आयु 5 वर्ष से कम थी। इसके अतिरिक्त 6 प्रतिशत लड़कियां 6 से 15 वर्ष की आयु के बीच थीं। 
• विश्व में लगभग 14 करोड़ लड़कियों और महिलाओं को महिला जननांग छेदन का सामना करना पड़ा है।
• आधुनिक समय में अवैध मानव तस्करी लाखों महिलाओं और लड़कियों को गुलामी के दलदल में धकेलती है। दुनिया भर में बंधुआ मजदूरी के अनुमानित 20.9 मिलियन पीड़ितों में से 55 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां होती हैं, जिन में से अनुमानित 4.5 मिलियन में से 98 प्रतिशत यौन शोषण के लिए मजबूर हैं। 
• आधुनिक समय में बलात्कार युद्ध की एक व्यापक रणनीति रही है। रूढ़िवादी अनुमान बताते हैं कि बोस्निया और हर्जेगोविना में 1992-1995 के युद्ध के दौरान 20,000 से 50,000 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था, जबकि 1994 के रवांडा नरसंहार में लगभग 2,50,000 से 5,00,000 महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाया गया था।
• यूरोपीय संघ के देशों में 40 से 50 प्रतिशत महिलाएं काम के दौरान अवांछित यौन शोषण, शारीरिक स्पर्श या अन्य प्रकार के यौन उत्पीड़न का अनुभव करती हैं। 
• भारत और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में बेटे के जन्म को काफी  प्राथमिकता दी जाती है। पितृसत्तात्मक मानसिकता, आय में कम योगदान और दहेज की असीमित मांगों के कारण लड़कियों को परिवार के लिए एक बोझ माना जाता है।
• भारत में प्रसव पूर्व लिंग चयन और भ्रूणहत्या के कारण पिछले 20 वर्षों में प्रति वर्ष आधा मिलियन लड़कियों की प्रसव पूर्व हत्या और मृत्यु हुई।
• कोरिया गणराज्य में, लगभग 30 प्रतिशत मादा भ्रूणों का गर्भपात कर दिया गया। इसके विपरीत, 90 प्रतिशत से अधिक गर्भ, जिनमें पुरुष भ्रूण थे, उन का सामान्य जन्म हुआ।
• चीन की 2000 की जनगणना के अनुसार, नवजात लड़कियों और लड़कों का अनुपात 100:119 था।
• मेक्सिको में, स्यूदाद जुआरेज़ में युवा महिलाओं की हत्या और गायब होने की घटनाओं की उच्च दर, जिसमें हाल ही में खतरनाक बढ़ोतरी देखी गई है, पिछले 10 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
• भारत और पाकिस्तान में हजारों महिलाएं दहेज हत्या की शिकार होती हैं। अकेले भारत में ही 2005 में लगभग 7000 दहेज हत्याएं हुईं, जिनमें अधिकांश पीड़ित 15 से 34 वर्ष की आयु की थीं।
ये उनमें से बहुत थोड़े से आँकड़े हैं जो मुझे इस विषय पर शोध करते समय प्राप्त हुए। दुनिया के हर देश में, हर समाज में और हर संस्कृति में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का अपना कारण और अपना औचित्य है। वे जो कुछ भी छुपा  सकते हैं, उसे छिपाते हैं और अपने यहाँ की एक आदर्श तस्वीर पेश करने की कोशिश करते हैं, जिसमें वे खुद फरिश्ते, और बाकी दुनिया शैतान जैसी दिखती है।
लेकिन जब हम महिलाओं के लिए अपमानजनक और खतरनाक होने के नाते किसी  और संस्कृति और धर्म की निंदा करने का फैसला करते हैं, तो हम लैंगिक हिंसा की विस्तृत दुनिया से खुद को दूर और अलग-थलग दिखाने का प्रयास कर रहे होते हैं। ऐसा कर के हम अपने हाथ उठा कर कह सकते हैं कि इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं, जब कि वास्तविकता तो यह है कि लैंगिक हिंसा किसी विशिष्ट क्षेत्र या संस्कृति की  पैदाइश नहीं है, और यह एक ऐसी चीज़ है, जिसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं।
                                                                                             ...........जारी


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