Wednesday, 19 January 2022

कविता

*छिछले प्रश्न गहरे उत्तर*   कवि बच्चा लाल 'उन्मेष' 

कौन जात हो भाई? 
"दलित हैं साब!" 
नहीं मतलब किसमें आते हो? /  
आपकी गाली में आते हैं 
गन्दी नाली में आते हैं 
और अलग की हुई थाली में आते हैं साब! 
मुझे लगा हिन्दू में आते हो! 
आता हूं न साब! पर आपके चुनाव में। 

क्या  खाते हो भाई? 
"जो एक दलित खाता है साब!" 
नहीं मतलब क्या-क्या खाते हो? 
आपसे मार खाता हूं 
कर्ज़ का भार खाता हूं 
और तंगी में नून तो कभी अचार खाता हूं साब! 
नहीं मुझे लगा कि मुर्गा खाते हो! 
खाता हूं न साब! पर आपके चुनाव में। 

क्या पीते हो भाई? 
"जो एक दलित पीता है साब! 
नहीं मतलब क्या-क्या पीते हो? 
छुआ-छूत का गम 
टूटे अरमानों का दम 
और नंगी आंखों से देखा गया सारा भरम साब! 
मुझे लगा शराब पीते हो! 
पीता हूं न साब! पर आपके चुनाव में। 

क्या  मिला है भाई 
"जो दलितों को मिलता है साब! 
नहीं मतलब क्या-क्या मिला है? 
ज़िल्लत भरी जिंदगी 
आपकी छोड़ी हुई गंदगी 
और तिस पर भी आप जैसे परजीवियों की बंदगी साब! 
मुझे लगा वादे मिले हैं! 
मिलते हैं न साब! पर आपके चुनाव में। 

 क्या किया है भाई? 
"जो दलित करता है साब! 
नहीं मतलब क्या-क्या किया है? 
सौ दिन तालाब में काम किया 
पसीने से तर सुबह को शाम किया 
और आते जाते ठाकुरों को सलाम किया साब! 
मुझे लगा कोई बड़ा काम किया! 
किया है न साब! आपके चुनाव का प्रचार..। 


हम हैं - तो गाएँगे 
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तुम जाति-ज़हर घोलो 
तुम धर्म की जय बोलो 
इंसान को तुम बांटो 
नफ़रत की फ़सल काटो 
हम अपने एका का 
परचम लहराएँगे .......
जीवन के सरगम पर 
हम हैं - तो गाएँगे  !

   --- आदित्य कमल

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