Friday, 5 November 2021

पाखंडवाद

पप्पू मंदिर में पूजा करने गया जब बाहर आया तो एक भिखारी ने उससे भीख माँगी...

पप्पू ने उसको दुत्कार दिया
भिखारी से अपमान सहन नही हुआ...

उसने पप्पू से पूछा - मंदिर क्यों आते हो ?

पप्पू : पूजा करने ?

पूजा किसलिए करते हो ?

पप्पू : अपने घर की सुख समृद्धि के लिए अपने कारोबार और परिवार के लिए समृद्धि माँगता हूँ...

भिखारी : हम क्या यहाँ बैठकर झख मारते हैं ? रोज 10 - 12 घंटे माँगते हैं और जब से पैदा हुए हैं तब से माँग रहे हैं लेकिन आज तक भिखारी ही हैं...

तू क्या समझता है दस पंद्रह मिनट को आकर तू अपनी इच्छा पूरी करवा लेगा ? 

अबे जब हम जन्म से मांग रहे हैं और अब तक भी भिखारी हैं...

जब हमको इन्होने कुछ नही दिया तो तुझको क्या देगा ? 

हमसे दीन हीन और कौन होगा? 

अगर इसको किसी पर दया दिखानी थी तो हम पर दिखानी थी, जब हमको ही कुछ नही दिया तो तुझको क्या देगा..?

जबकि तेरे पास तो कुछ कमी नही है, गाड़ी, बंगले, कार सब कुछ है ।

एक बात समझ ले हम मंदिर के बाहर बैठकर भी भगवान के नाम पर जरुर मांगते हैं लेकिन भगवान से नही इंसान से ही माँगते हैं...

 ..लक्ष्मी पूजा, मूर्ति पूजा और पाखंडो को समझे और इस अन्धविश्वास , पाखंडवाद को ख़त्म करे...।



              

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