Monday, 15 November 2021

जब एक लड़की हौसला करे, घर से निकलने का!



जब घर से निकलने पर
अपने लिए ये सुनो कि ये आवारा हो चुकी,
ये किसी की नहीं सुनती,मनमानी करती है,हाथ से निकल गई,
तो उस वक़्त
तुम नाराज मत होना, पीछे मुड़कर भी मत देखना,
तुम आगे बढ़ना,दो कदम - चार कदम ओर आगे बढ़ाना 
और थोड़ी ओर आवारापन्ती करना,
तुम जी लेना अपनी  तमाम सहेलियो , बहनों,
और शायद मां के हिस्से का भी....
जो कभी घर की दहलीज को लांग ना सकी
जो कभी हौसला ना कर सकी खुद को आवारा कहलवाने का,
और अच्छी बने रहने के लिए 
जिसने गुजार दी अपनी पूरी उम्र ,
घर के एक कोने में,जो कभी उसका ना हो सका
तुम कभी अपनी मां जैसी अच्छी मत होना ,
तुम तो बस ऐसी ही रहना,
खिलखिलाती हुई,मुस्कुराती हुई,
अन्याय के खिलाफ झंडा उठाती हुई,
गलियों सड़कों में घुमती हुई,आवारापन्ती करती हुई,
एक आवारा सी लड़की 
तुम  तो बस ऐसी ही रहना ......  !
Jaspreet

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