भाजपा के पास किसानों के खिलाफ अभी सबसे बड़ा हथियार है- धन और बाजरे की फसल खरीद को टाल देना। करीब 22 लाख धान पंजाब और हरियाणा की मंडियों में सरकारी खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे है।
सरकार ने क्या किया? पहले घोषणा हुई कि 25 सितंबर को धान की खरीद शुरू होगी, फिर तारीख बढ़ा कर 2 अक्टूबर किया गया और अब 11 अक्टूबर कर दिया गया है। धान खरीद के लिये कोई गुणवत्ता मापक निर्धारित नही किया गया है।
भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है कि पंजाब और हरियाणा के दानों में 22.5% नमी है। इधर हरियाणा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है कि जिस धान की नमी 17.5% है, उसी की सरकारी खरीद होगी। अगर धान की नमी 22.5 % है तो आढ़ातीय क्यो खरीदेगे। यह किसानों और आढ़तियों के बीच फुट डालने उद्देश्य से चाल चला गया है।
इतना ही नही, मंडी में काम कर रहे मजदूरो का रेट जो पहले रु12.75 प्रति बैग था, उसमे रु 2.10 की कटौती कर दी गयी है जिसके चलते मजदूर यूनियने भी हड़ताल करने का निर्णय कर चुके है।
इस तरह किसान आंदोलन में फुट डालने के लिए , किसानों,आढ़तियों और मजदूरो में विरोध बढाने का पूरा प्रयास बीजेपी सरकार कर रही है। इस सब के बावजूद किसान आंदोलन और उसके साथ तमाम वामपंथी ताकते, कुछ एनजीओ पंथी टाइप वाम धरे को छोड़ कर, फासीवादी बीजेपी सरकार के खिलाफ खड़े है।
और अब संघी फासीवादियों का किसानों के ऊपर यह नीचतापूर्ण और कायरणाम हमला!
लेनिन ने ठीक ही कहा था, "जनताओं के जीवन में बड़ी-बड़ी समस्याएं केवल बलपूर्वक ही तैं होती हैं। आम तौर पर प्रतिक्रियावादी वर्ग स्वयं ही पहले हिंसा का गृहयुद्ध का सहारा लेते हैं, वे ही सबसे पहले " लड़ाई को तात्कालिक लक्ष्य बना देते हैं ....."
और किसानों ने भी बल प्रयोग करने का मन बना लिया है। अगर जल्द ही धान की खरीद शुरू नही की गई, तो वे भाजपा विधायकों को उनके घर पर ही घेरेंगे और उन्हें घर से निकलने नही देंगे।
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