Sunday, 29 August 2021

Katherine Mayo "Mother India"

👆🏻भारत में आज नारी 18 वर्ष की आयु के बाद ही बालिग़ अर्थात विवाह योग्य मानी जाती है। परंतु मशहूर अमेरिकन इतिहासकार कैथरीन मायो (Katherine Mayo) ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक "मदर इंडिया" (जो 1927 में छपी थी) में स्पष्ट लिखा है कि भारत का रूढ़िवादी हिन्दू वर्ग नारी के लिए 12 वर्ष की विवाह/सहवास आयु पर ही अडिग था।

1860 में तो यह आयु 10 वर्ष थी। इसके 30 साल बाद 1891में अंग्रेजी हकुमत ने काफी विरोध के बाद यह आयु 12 वर्ष कर दी। कट्टरपंथी हिन्दुओं ने 34 साल तक इसमें कोई परिवर्तन नहीं होने दिया। इसके बाद 1922 में तब की केंद्रीय विधान सभा में 13 वर्ष का बिल लाया गया। परंतु धर्म के ठेकेदारों के भारी विरोध के कारण वह बिल पास ही नहीं हुआ।

1924 में हरीसिंह गौड़ ने बिल पेश किया। वे सहवास की आयु 14 वर्ष चाहते थे। इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध पंडित मदन मोहन मालवीय ने किया, जिसके लिए 'चाँद' पत्रिका ने उनपर लानत भेजी थी। अंत में सलेक्ट कमेटी ने 13 वर्ष पर सहमति दी और इस तरह 34 वर्ष बाद 1925 में 13 वर्ष की सहवास आयु का बिल पास हुआ।

6 से 12 वर्ष की उम्र की बच्ची सेक्स का विरोध नहीं कर सकती थी उस स्थिति में तो और भी नहीं, जब उसके दिमाग में यह ठूस दिया जाता था कि पति ही उसका भगवान और मालिक है। जरा सोचिये! ऐसी बच्चियों के साथ सेक्स करने के बाद उनकी शारीरिक हालत क्या होती थी? इसका रोंगटे खड़े कर देने वाला वर्णन Katherine Mayo ने अपनी किताब "Mother India" में किया है कि किस तरह बच्चियों की जांघ की हड्डियां खिसक जाती थी, मांस लटक जाता था और कुछ तो अपाहिज तक हो जाती थीं।

6 और 7 वर्ष की पत्नियों में कई तो विवाह के तीन दिन बाद ही तड़प तड़प कर मर जाती थीं।


No comments:

Post a Comment

१९५३ में स्टालिन की शव यात्रा पर उमड़ा सैलाब 

*On this day in 1953, a sea of humanity thronged the streets for Stalin's funeral procession.* Joseph Stalin, the Soviet Union's fea...