Monday, 16 August 2021

लुडविग फेयेरवाख, परिशिष्ट: " *अठारहवीं सदी के फ्रांसीसी भौतिकवाद के इतिहास पर कार्ल मार्क्स का मत"

'भौतिकवाद का समाजवाद से आवश्यक सम्बन्ध समझने के लिये विशेष बुद्धि की आवश्यकता नहीं है। यदि यह बात सत्य है कि मनुष्य अपना समस्त ज्ञान अपने सारे अनुभव आदि गोचर संसार से प्राप्त करता है तो इससे सिद्ध होता है कि वास्तविक मानवीय अनुभव प्राप्त करने के लिए, दुनिया में मनुष्य की तरह रहने के लिए, उसे केवल भौतिक संसार में आवश्यक परिवर्तन करने की आवश्यकता है| यदि मनुष्य भौतिक अर्थ में परतन्त्र है- अर्थात् यदि उसकी स्वतन्त्रता घटनाओं से बचने की नकारात्मक शक्ति पर नहीं, बल्कि अपने वास्तविक व्यक्तित्व को प्रगट करने की सकारात्मक शक्ति पर आधारित है, तो अपराधों के लिए व्यक्तियों को दण्ड नहीं देना चाहिये, बल्कि उन समाजविरोधी परिस्थितियों को मिटाना चाहिए जिनमें अपराधों की सृष्टि होती है।….… यदि यह सत्य है कि परिस्थितियाँ मनुष्य को ढालती है तो हमें परिस्थितियों को मनुष्योचित रूप में ढालना चाहिये।" 

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