तुम गुड़िया मत बनना,
कि हर कोई तुमसे खेल जाए।
तुम परी मत बनना,
कि हर कोई तुम्हें हासिल करना चाहे।
तुम नाजुक मत बनना,
कि हर कोई तुम्हें तोड़ना चाहे।
तुम दया की पात्र मत बनना,
कि हर कोई तुम्हारा मखोल उड़ाए।
तुम निर्मल और कोमल मत बनना,
कि हर कोई इसकी आड़ में अपनी ताकत आजमाएं।
तुम सहनशील मत बनना,
कि हर कोई तुम्हारी भावनाओं को कुचल, तुम्हें हराए।
तुम केवल सौंदर्य बोध की वस्तु मत बनना,
कि हर कोई घिनौनी सोच से निहार जाए।
तुम दान की वस्तु मत बनना,
कि कन्यादान के नाम पर तुम्हारा स्तर गिराया जाए।
तुम पराया धन मत बनना,
कि हर कोई तुम्हें पराए घर से आई बताएं।
तुम बनो तो एक सबक बनना,
अपने फैसले खुद लेना,
और पितृसत्ता की धारणाओं को बदलना।
Seema Jain
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