Wednesday, 7 July 2021

---"अधिकार कविता"---



वे मुस्काते फूल, नहीं 
जिनको आता है मुर्झाना,
वे तारों के दीप, नहीं 
जिनको भाता है बुझ जाना।

वे नीलम के मेघ, नहीं 
जिनको है घुल जाने की चाह,
वह अनन्त रितुराज, नहीं 
जिसने देखी जाने की राह।

वे सूने से नयन, नहीं 
जिनमें बनते आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज, नहीं
जिसमें बेसुध पीड़ा सोती।

ऐसा तेरा लोक, वेदना नहीं,
नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, 
नहीं जिसने जाना मिटने का स्वाद!

क्या अमरों का लोक मिलेगा 
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे 
यह मेरा मिटने का अधिकार!

                       "महादेवी वर्मा"

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को  फरुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल, इंदौर में हुई। महादेवी 1929 में बौद्ध दीक्षा लेकर भिक्षुणी बनना चाहतीं थीं, लेकिन महात्मा गांधी के संपर्क में आने के कारण बौद्ध दीक्षा न ले सकी फिर भी माहदेवी वर्मा समाज-सेवा में लग गईं।  

1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए करने के पश्चात आपने नारी शिक्षा प्रसार के मंतव्य से प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की व उसकी प्रधानाचार्य के रुप में कार्यरत रही। मासिक पत्रिका चांद का अवैतनिक संपादन किया।  11 सितंबर, 1987 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में आपका निधन हो गया।

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