मलाबार के खेतिहरों को,
अन्न चाहिए खाने को..!
डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए,
बिगड़ी बात बनाने को..!
जंगल में जाकर देखा,
नहीं एक भी बांस दिखा..!
सभी कट गए सुना,
देश को पुलिस रही सबक सिखा..!
जन-गण-मन अधिनायक जय हो,
प्रजा विचित्र तुम्हारी है..!
भूख-भूख चिल्लाने वाली,
अशुभ अमंगलकारी है..!
बंद सेल बेगूसराय में,
नौजवान दो भले मरे..!
जगह नहीं है जेलों में,
यमराज तुम्हारी मदद करे..!
ख्याल करो मत...
जनसाधारण की रोज़ी का, रोटी का..!
फाड़-फाड़ कर गला,
न कब से मना कर रहा अमरीका..!
बापू की प्रतिमा के आगे,
शंख और घड़ियाल बजे..!
भुखमरों के कंकालों पर,
रंग-बिरंगी साज़ सजे..!
ज़मींदार है, साहुकार है,
बनिया है, व्योपारी है..!
अंदर-अंदर विकट कसाई,
बाहर खद्दरधारी है..!
सब घुस आए भरा पड़ा है,
भारतमाता का मंदिर..!
एक बार जो फिसले अगुआ,
फिसल रहे हैं फिर-फिर-फिर..!
छुट्टा घूमें डाकू गुंडे,
छुट्टा घूमें हत्यारे..!
देखो, हंटर भांज रहे हैं,
जस के तस ज़ालिम सारे..!
जो कोई इनके खिलाफ़,
अंगुली उठाएगा बोलेगा..!
काल कोठरी में ही जाकर,
फिर वह सत्तू घोलेगा..!
माताओं पर, बहिनों पर,
घोड़े दौड़ाए जाते हैं..!
बच्चे, बूढ़े-बाप तक न छूटते,
सताए जाते हैं..!
मार-पीट है, लूट-पाट है,
तहस-नहस बरबादी है..!
ज़ोर-जुलम है, जेल-सेल है,
वाह खूब आज़ादी है..!
रोज़ी-रोटी, हक की बातें,
जो भी मुंह पर लाएगा..!
कोई भी हो, निश्चय ही वह,
कम्युनिस्ट कहलाएगा..!
नेहरू चाहे जिन्ना,
उसको माफ़ करेंगे कभी नहीं..!
जेलों में ही जगह मिलेगी,
जाएगा वह जहां कहीं..!
सपने में भी सच न बोलना,
वर्ना पकड़े जाओगे..!
भैया, लखनऊ-दिल्ली पहुंचो,
मेवा-मिसरी पाओगे..!
माल मिलेगा रेत सको यदि,
गला मजूर-किसानों का..!
हम मर-भुक्खों से क्या होगा,
चरण गहो श्रीमानों का..!
#बाबा नागार्जुन।
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