Tuesday, 15 June 2021

कविता

हे पार्थ! सत्ता के रणक्षेत्र में तू किसी अन्य की बात बिल्कुल मत सुन। क्योंकि
मै संतो में राम रहिम हूँ
मै ऋषियो में आसाराम हूँ
चोरो में विजय माल्या हूँ
भगोङो में नीरव मोदी हूँ
मित्रो में गौतम अडानी हूँ
अमीरो में मुकेश अम्बानी हूँ
स्थानो में गोधरा हूँ
शब्दो में मित्रो हूँ
हिन्दूओ में राम मंदिर हूँ
मुसलमानो में तीन तलाक हूँ
उत्तर प्रदेश में गंगा का बेटा हूँ
गुजरात में पटेल का चेला हूँ
महाराष्ट्र मे शिवाजी का शिष्य हूँ
देवों में बाबा रामदेव हूँ
सिंहो में गिरिराज सिंह हूँ
अर्थशास्त्रियों में नोटबंदी हूँ
टैक्सो में जीएसटी हूँ
मशीनो में ईवीएम हूँ
वकीलो में सुब्रमण्टम स्वामी हूँ
वायरस में कोरोना हूँ
प्रवक्तओ मे सविद पात्रा हूँ
ऐकरो में अर्णव गोस्वामी हूँ
चैनलो में जी न्यूज हूँ
रगों में भगवा हूँ
और सुनो
मै कहने को तो विकास हूँ पर वास्तव मे विनाश हूँ
मै ही पान और पकोङा हूँ
बीबी को मझधार में छोङने वाला भगोङा हूँ
मैं कामदार भी हूँ, मै चोकीदार भी हूँ , मैं भागीदार भी हूँ, मैं दागदार भी हूँ
और
सात सालो से अपनी तमाम झूठी बातों पर अङा भी हूँ
वास्तव मे मैं ही असली जुमलेबाज-नोटकीबाज के साथ-साथ घोटालेबाज भी हूँ।


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