Sunday, 16 May 2021

कार्ल मार्क्स को याद करते हुए ! कविता

मनुष्य के लिए इतना प्यार कहां से लाए थे कार्ल मार्क्स !

कार्ल मार्क्स को याद करते हुए !

मनुष्य के लिए
इतना प्यार कहां से लाए थे 
कार्ल मार्क्स 
मनुष्य से तो प्यार 
बुद्ध ने भी किया 
टॉल्सटॉय ने भी किया
लेकिन तुम्हारे प्यार में वह क्या था 
जो इन लोगों से तुम्हें अलग करता है
 क्या जीवन के लिए
 सिर्फ प्यार ही काफी है
 यदि ऐसा ही होता
 तो तुम भी बुद्ध होते या फिर
 टॉल्सटाय की तरह  होते
तुम भी अहिंसा की बात करते 
 त्याग की बात करते 
 संसारिक कष्टों से मुक्ति की बात करते
तुमने तो मनुष्य को
 ब्रह्मांड के सबसे ऊंचे मुकाम पर 
पहुंचने की बात की 
तुमने प्रकृति के साथ संघर्ष और 
रागात्मक संबंध बनाने की बात की
 तुमने मनुष्य और प्रकृति के खिलाफ
 षड्यंत्र करने वालों के खिलाफ
 युद्ध की घोषणा की 
तुमने व्यक्ति के ऊपर
 समाज के महत्व को स्थापित किया
 तुमने प्रकृति और मनुष्य के
 द्वंद्व को उद्घाटित किया 
 समाज और प्रकृति की गति को 
समझने का नियम दिया 
तुमने जीवित श्रम शक्ति के मृत्यु के रहस्य
और मृत श्रम शक्ति के जीवन और गति के रहस्य को
दुनिया के सामने लाया
और बताया कि प्रेतात्मा बन गए 
जीवित श्रम शक्ति को
अपने नियंत्रण में लेकर 
जबतक जीवित श्रम शक्ति 
समाज के अधीन न कर दे 
यह मनुष्य को तबाह कर ती रहेगी
इस तबाही को हम रोजझेल रहे हैं 
कार्ल मार्क्स 
और याद कर रहे हैं 
कहां हम कमजोर पड़े 
प्रेत आत्माओं के खिलाफ
हम युद्ध के संचालन में

Narendra Kumar 

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