Sunday, 28 March 2021

होलिका दहन



कभी दिमाग पे
जोर डाला
होलिका दहन कर
क्यों खुशीयाँ
मना रहे है
अनभिज्ञ हो सत्य से
रूढीवादी परम्परा का
केवल निर्वाह कर रहे है।

ऐसा क्या किया
एक स्त्री ने
कि सदियों से
प्रत्येक वर्ष
उसे आग में
खाक कर रहे है
क्यों पौरूष विहीन
हुआ आज भी पुरूष
डर कर युगों बाद भी
पाप कर्मों को छुपा रहे है।

दहेज रूपी आग में
जलती असंख्य नारी देह
उसके लिए किसको हम 
दोषी ठहरा रहे है
क्या स्त्रीयों को जलाना ही 
सभ्य समाज की पहचान है
होलिका दहन से जिसको 
हम मजबूत बना रहे है।

क्यों नहीं करते कभी
उनका भी होलिका दहन
जो बलात्कार,हत्या ,
भ्रष्टाचार खूब कर रहे है 
लेकर जन्म
स्त्री की कोख से ही 
स्त्रीयों का ही अपमान
खुलेआम कर रहे है ।

क्या इनमें भी ज्यादातर
हिरण्यकश्यप मुलनिवासी के
ही दुश्मन छिपे बैठे है
जो समय समय पे भेष बदल रहे है
उलझा ब्राह्मणवाद के जाल में 
राजा बली के वंशजों को
देखो आँखे खोलकर
कैसे घर घर ठग रहे है।।
©anil_bidlyan

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