Thursday, 18 February 2021

न्याय की देवी



न्याय की देवी तुम गाय की तरह पवित्र हो
तुम्हारा दर्शन मात्र हम गरीबों के लिए पुण्य है
 जिस खूंटे से तुम बंधी रहती हो 
उसकी कोठी की शान में तुम हमेशा 
चार चांद लगाती रहती हो
यह तो लाज़मी है कि जिस मालिक की तुम गाय हो
अपने थन से दूध की बाल्टी तो उसी की भरोगी 
और  चाहिए भी यही
क्योंकि धर्म और कर्तव्य की मर्यादा तो यही है
आखिर  वह आपका मालिक जो  ठहरा 
अब चारा चाहे मालिक की खाओ या काले चोर की
 इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता
न्याय की गौ माता हमारे लिए तो
 तुम्हारा गोबर और मूत्र ही पवित्र है
 सुनते हैं ऐसा शास्त्रों में भी लिखा गया है 
और महाजन भी तो यही कहते हैं
हां तुम इतनी गऊ हो इतनी गऊ हो कि 
अपने मालिक की क्रूरता पर भी तुम उसके कंधे चाटती हो 
लेकिन दूसरों को अपनी तरफ आते देख 
उसे सींग पर उठा लेती हो 
 तुम्हारा मालिक  इसी अदा पर तो तुम्हें
 पवित्र गाय मानकर तुम्हारी पूजा करता है 
हां यह दीगर बात है कि 
कभी-कभार तुम्हारी थोड़ी सी शरारत पर
 या दूध कम कर देने पर
 तुम पर वह डंडे बरसाना नहीं भूलता 
फिर भी न्याय की देवी  
तुम्हारी यह सरलता है या खूंटे की मजबूरी
जो तुम्हें सदैव पवित्र बनाए रखती है
 न्याय की देवी तुम ऐसे ही पवित्र बनी रहो
मालिक के लिए दूध तथा हमारे लिए गोबर देती रहो

 *जुल्मीरामसिंह यादव*

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