" कम्युनिस्टों के बीच मतभेद दूसरे किस्म के होते हैं . इस मूलभूत फर्क को सिर्फ वे लोग ही नहीं देख सकते ,जो देखना नहीं चाहते हैं . कम्युनिस्टों के बीच मतभेद एक ऐसे जन आन्दोलन के प्रतिनिधियों बीच मतभेद हैं जो जन आन्दोलन , अविश्वसनीय गति से बढ़ा है . , तथा कम्युनिस्टों की जो एक अकेली ,सामान्य तथा फौलादी आधार शिला है ,वह है सर्वहारा क्रांति की पहचान तथा बुर्जुआ जनतांत्रिक भ्रमों और बुर्जुआ संसदवाद के विरुद्ध संघर्ष एवं सर्वहारा की तानाशाही और सोवियत सत्ता की पहचान की आधारशिला . इस आधार पर मतभेदों के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए .इस प्रकार के मतभेद वृद्धिमान प्रक्रियाओं को दर्शाते हैं ,जर्जर हो कर पतन को नहीं ."
( लेनिन: संग्रहितरचनाएँ , खंड 30 प्रष्ठ 55 ,अंग्रेजी )
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