Saturday, 16 January 2021

किसानों के लिये क्रांति और समाजवाद की जरूरत।

    बहुसंख्यक किसान और पूंजीवाद

बहुसंख्यक किसानों के लिये पूंजीवाद फांसी का फंदा साबित हो रहा है, उनकी बदहाली और गरीबी तबतक खत्म नही हो सकती जबतक पूंजी की सत्ता का बोलबाला है। कंपनी राज नही, कंपनी मुक्त राज्य, समाजवादी राज्य ही एक बेहतर आर्थिक परिस्थिति किसानों को दे सकता है जिसमे कृषि उपज की वाजिब कीमत और कॉर्पोरेट लूट से मुक्ति किसानों को मिल पायेगी।

प्रश्न है, समाजवाद में खेती निजी रहेगी या सामूहिक?

डरने की जरूरत नही है, खेती निजी रहे या सामूहिक बहुसंख्यक के हित में ही होगा और यह उस समय की परिस्थिति पर निर्भर करे गा। अभी हम लोग भारत मे निजी खेती की दुर्दशा देख रहे है, सामूहिक खेती का मॉडल हमने चीन में देखा था और सामाजिक खेती का मॉडल रूस में देखा था। भारत मे खेती का कौन सा रूप शुरू में होगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन कॉर्पोरेट सम्पति पर सामाजिक अधिकार होगा। कॉर्पोरेट सम्पति पर सामाजिक अधिकार की स्थापना समाजवाद की दिशा में पहला और निर्णायक कदम हो सकता है।

क्या किसान और मजदूर वर्ग अपने कॉमन दुश्मन  कॉर्पोरेट वर्ग और फासीवादी मोदी सरकार के खिलाफ एक साथ खड़ा होने की तरफ आज बढ़ सकते है?
एम के आज़ाद

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