खाद्य पदार्थों सहित सभी आवश्यक वस्तुओं के व्यापार से मंडी व्यवस्था को समाप्त व सभी किस्म के पूँजीपतियों और बिचौलियों (कॉर्पोरेट, आढतिये या गाँव के कुलक) को बाहर कर इसके थोक और खुदरा व्यापार का पूर्ण राष्ट्रीयकरण करो।
सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सुनिश्चित करो।
ये माँग किस किस को गरीब किसान मजदूर विरोधी और पूँजीपति वर्ग की दलाली लगती है? मेहनतकश जनता के लिए यह माँग हानिकारक कैसे है?
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Mukesh Aseem कुलको की मांग का समर्थन मैं नही कर रहा हूँ। आपको गलतफहमी है। हाँ, भाजपा सरकार के तीन कृषि बिल का विरोध का समर्थन करता हूँ। और किसानों पर उनके द्वारा विरोध प्रदर्शन पर उनके ऊपर पुलिस दमन की निंदा करता हूँ। आपने जो आगे बढ़ने का प्रस्ताव दिया है, उसमे कुलको का हित भी आगे हो रहा है, जबकि आप ऐसा नही चाहते होंगे। मैं सिर्फ इतना ही कहा है।
सीमांत और गरीब किसानो को किन मुद्दे पर मजदूर आंदोलन से जोड़ा जाए, एक गम्भीर प्रश्न है जिस पर मैं बहुत स्पष्ट नही हुं। क्या खेतिहर मजदूर यूनियन और गरीब एवम सीमांत किसानों का एक ही यूनियन बनना चाहिये या अलग अलग। इन सवालो पर क्रांतिकारी साथियो को हो सके तो प्रकाश डालने चाहिये।
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