Tuesday, 29 December 2020

निजीकरण, किसान

प्राइवेट चैनल आये, आज दूरदर्शन की क्या हालत है?
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प्राइवेट सिम आये,आज BSNL की क्या हालत है?
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प्राइवेट स्कूल आये, आज सरकारी स्कूलों की क्या हालत है?
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प्राइवेट हास्पिटल आये, आज सरकारी हास्पिटल की क्या हालत है?
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प्राइवेट मंडियां आएंगी और किसान मालामाल हो जायेंगे, ये गजब तर्क  है ।
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लेकिन फिर बुर्जवा राज्य द्वारा किये गए थोड़े से सरकारीकरण को बचाने तक की  लड़ाई तक सीमित क्यो रखा जाय?
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निजी सम्पत्ति को पूरी तरह खत्म करने की समाजवादी लड़ाई  क्यो न तेज किया जाए?


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