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आटो रेने केस्टिया (1934-1967) ग्वाटेमाला के क्रांतिकारी और कवि थे। वह हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही प्रगतिवादी राजनीति में सक्रिय हो गए थे। ग्वाटेमाला में सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें 1954 में अल सल्वाडोर में निर्वासित होना पड़ा। वह पूर्वी जर्मनी में भी निर्वासन में रहे। मेक्सिको में उन्होंने प्रगतिशील लेखकों का समूह बनाया। ग्वाटेमाला लौटकर सरकार के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध में शामिल हुए। पकड़े गए और जिंदा जला दिए गए। स्पेनिश में छपी उनकी दो कविता पुस्तकों में समकालीन प्रतिरोध के जो स्वर मुखरित हुए, वे सर्वकालीन बन गए। उनकी अग्निधर्मी कविताएं प्रतिरोध की शाश्वत आवाज हैं।
अराजनीतिक बौद्धिक
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एक दिन
मेरे देश के
अराजनीतिक
बौद्धिक
होंगे सवालों के घेरे में
हमारी भोली-भाली जनता के।
पूछा जाएगा उनसे
किया क्या उन्होंने
जब दम तोड़ रहा था देश
धीरे-धीरे,
छोड़ दिए गए
बुझते अलाव की तरह।
कोई नहीं करेगा दरियाफ्त
उनसे उनके कपड़ों की
दोपहर के खाने के बाद
आलस में सुस्ताने की,
कोई नहीं जानना चाहेगा
उनके व्यर्थ संघर्षों को
जो करते रहे थे वे
बिना किसी विचार के साथ
परवाह नहीं करेगा कोई
धन-दौलत के उनके इल्म की।
नहीं पूछे जाएंगे उनसे सवाल
यूनानी पुराकथाओं पर
या उनके नफरत दबाने पर
जब उन्हीं में से कोई
शुरू कर देगा
कायर की तरह मरना।
उनसे नहीं पूछा जाएगा
उनकी बेहूदा
सफाइयों के बारे में,
जो जन्मी होंगी
कोरे झूठ के साये में।
उस दिन तो सामने
आएंगे भोले-भाले लोग।
जिनके लिए नहीं थी कोई जगह
राजनीतिक बौद्धिकों की
किताबों और कविताओं में,
पर वे रोज पहुंचाते थे
उनके घर डबलरोटी और दूध,
उनके लिए टोर्टिला* और अंडे,
जो चलाते थे उनकी कारें,
जो करते थे देखवाल उनके कुत्तों और बगीचों की
और करते थे उनके तमाम काम,
और वे पूछेंगे:
'क्या किया था तुमने जब गरीब
थे परेशान, जब कोमलता और
जीवन
उनके हो रहे थे खाक?'
मेरे प्यारे देश के
अराजनीतिक बौद्धिको,
तब नहीं दे सकोगे कोई जवाब।
तब मौन के गिद्ध
नोंच खाएंगे तुम्हारीं आंतें।
तुम्हारी ही दुर्गति
तारी होगी तुम्हारी आत्मा पर।
और शर्मिंदा होकर नि:शब्द रह जाओगे तुम।
- आटो रेने केस्टिया
अनुवाद : भुवेन्द्र त्यागी
* टोर्टिला मांस और ओनीर आदि भरकर प्रायः गर्म खाई जाने वाली मेक्सिको की एक प्रकार की बहुत पतली और गोल डबलरोटी होती है।
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