आज पूंजीवादी भारत मे हमारे शहर एवम देहात दबंग धनपशुओं और गरीब मिहनतकस जनता के बीच विभाजित है। आपराधिक दमन की अधिकांश घटनाये मिहनतकस जनता के खिलाफ ही होती है जो शहर एवम देहात के दबंग धनपशुओं द्वारा किये जाते है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में महिलाओं के खिलाफ 3,78,236 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे जिनमें 33,356 रेप के मामले थे। उसी रिपोर्ट के अनुसार 2018 भारत मे प्रतिदिन 87 बलात्कार की घटनाये दर्ज कराई गयी थी।
इन बलात्कारियो के तार फासीवादी भाजपा से कितने जुड़े है, यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि भाजपा के अधिकांश एमपी और विधायकों के नाम औरतो के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज है।
आज बीजेपी के 116 एमपी यानी कुल एमपी के 39% के खिलाफ आपराधिक मामले है। इसलिये इसमें कोई आश्चर्य नही होना चाहिये कि भाजपा और राज्यमशीनरी हमेशा इस तरह के आपराधिक मामलों में अपराधियों को बचाते हुए नजर आते है। या फिर लोगो के बढ़ते गुस्से एवं विरोध को देखते हुए इक्के दुक्के केस में, जैसे हैदराबाद बलात्कार केस, बलात्कारी का पुलिस द्वारा सीधा एनकाउंटर। इस तरह पुलिस को हीरो बना दिया जाता है, कानून और पुलिस पर लोगो का भरोसा थोड़े समय के लिये जीत लिया जाता है। लेकिन बलात्कार की घटनाये रोज रोज यथावत होती रहती है। लेकिन मीडिया और हम विरोध करने वाले सिर्फ उसी घटना तक अपने को सीमित रखते है जो अचानक एक खबर बन जाता है।
इस पूंजीवादी सत्ता के रहते हुए, शहर और देहात के पूंजीवादी दबंगो और उसकी पार्टी को अपराध करने से रोक पाने की बात कोरी कल्पना है।
पूंजीवादी "राम-राज्य" में नही, शहरी एवम देहाती पूंजीवादी दबंगो से मुक्त मजदूर राज्य में ही बलात्कार की घटनाओं से पूर्ण मुक्ति पायी जा सकती है।
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