सरकार रोजगार दे
या बेरोजगारी भत्ता दे
नही तो गद्दी छोड़ दे!
नोटबन्दी, GST और कोरोना काल मे हुए लॉक्ड डाउन ने गहराते आर्थिक संकट को और तीखा कर दिया है, आज अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में बेरोजगारी अपने चरम पर है। नाकाम पूंजीवाद और बुर्जुवा फासीवादी सरकार बेरोजगारों के लिये न्यूनत्तम बेरोजगारी भत्ता भी मुहैया कराने में असमर्थ है। मिहनतकस जनता में सरकार के खिलाफ पल रहा भयंकर आक्रोश और गुस्सा कल कौन सा रूप लेगा, आज इसकी भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है क्योकि आर्थिक बदहाली ने लोगो को अपने भविष्य के प्रति बेहद निराश और बेचैन करना शुरू कर दिया है।
सरकार कर्ज ले कर , सरकारी सम्पत्तियां बेच कर निजी क्षेत्र की डूबती कम्पनियो को आर्थिक सहायता दे सकती है, किसानों को उनकी उपज का (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य और कई तरह की आर्थिक सहायता दे सकती है लेकिन बेतहासा बढ़ रही बेरोजगारी की आपदा झेल रहे नौजवानों को न्यूनतम बेरोजगारी भत्ता की गारंटी क्यो नही कर सकती?
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