Tuesday, 1 September 2020

कवि मंगेश पाडगावकर की कविता "सलाम"

साथियों , मराठी के सुप्रसिद्ध कवि मंगेश पाडगावकर की यह कविता पढ़ें | कविता का शीर्षक है सलाम |अनुवाद मेरा ही है |                 

                           सलाम

यदि इस देश को सत्ता संपत्ति वाले भड़ुओं का देश कहूं
तो लोग मेरा सर फोड़ डालेंगे
यदि नीच और लाचारों का देश कहूं 
तो लोग रास्ते पर  ही मुझे धो डालेंगे 
यदि बिक जाने वालों का देश कहूं 
तो ये मेरा रास्ता चलना दूभर कर देंगे
देव धर्म और नेताओं के विरुद्ध यदि कुछ बोलूं
 तो लोग चौराहे पर ही पीट डालेंगे
यदि  शोषणकर्ताओं  का देश कहूं 
तो लोग मुझे नौकरी से निकाल देंगे
इसलिए सबसे पहले  मैं सलाम करता हूं 
अपनी नपुंसकता को
तत्पश्चात सलाम
अपने इस
 परम पवित्र मंगलकारी उदात्त देश को
  इस महान देश की महान परंपरा को मेरा सलाम

   मराठी के सुप्रसिद्ध कवि  मंगेश पाडगावकर 
अनुवाद : जुल्मी राम सिंह यादव

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