सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में रेलवे लाइन के किनारे बनीं 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटाया जाएगा. तीन महीने के भीतर कोर्ट ने 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया है.
इन झुग्गी-झोंपड़ियों में कई दशकों से रहने वाले गरीब मिहनतकस के सामने एकाएक इस कोरोना काल मे आवास की विकट समस्या खड़ी हो गयी है। प्रधानमंत्री की तमाम आवास योजनाए कभी इनकी समस्या को सम्बोधित नही किया है।
अखबारों के रिपोर्ट से हम जानते है कि पूरे भारत मे दस लाख से ज्यादा फ्लैट बन कर तैयार है लेकिन वे बिक नही रहे है। दूसरी तरफ 48000 झुग्गियों में रहनेवाले लोगो को अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सड़क पर आना होगा। पूंजीवाद एक ओर मुट्ठी भर लोगो को आपार सम्पत्ति तो दूसरी ओर विशाल मिहनतकस जनता को भयंकर गरीबी के सिवा और दे भी क्या सकता है?
लूटेरी पूंजीवादी व्यवस्था अब बने रहने का औचित्य पूरी तरह खो दिया है, यह बात मिहनतकस जनता जितना जल्द समझ लेगा और अपना मजदूर राज्य स्थापित करेगा, उतना ही जल्द आज की विकसित तकनीक का उपयोग कर आवास समस्या का भी बेहतरीन समाधान कर पाए गा।
आवास समस्या पर एंगेल्स के लेख का लिंक
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