हम मेहनतकश जग वालों से
जब अपना हिस्सा मांगेंगे
एक खेत नहीं एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेंगे।
यहां सागर सागर मोती हैं
यहां पर्वत पर्वत हीरे हैं
यह सारा माल हमारा है
हम सारा खजाना मांगेंगे।
जो खून बहा जो बाग उजडे
जो गीत दिलों में कत्ल हुए
हर कतरे का हर गुंचे का
हर गीत का बदला मांगेंगे।
ये सेठ व्यापारी रजवाड़े दस लाख
तो हम दस लाख करोड़
ये कितने दिन अमरीका से
लड़ने का सहारा मागेंगे।
जब सफ* सीधी हो जाएगी
जब सब झगड़े मिट जाएंगे
हम हर एक देश के झंडे पर
एक लाल सितारा मानेंगे
हम मेहनतकश जग वालों से
जब अपना हिस्सा मांगेंगे
एक खेत नहीं एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेंगे।
*कतार, पंक्ति, लाइन
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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