▪️मुद्दा▪️7
57000 करोड़ का घोटाला, मोदीजी की फसल बीमा योजना
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▪️श्रीकांत आप्टे
भारत में कृषि आज भी मौसम पर निर्भर है और इसीलिए देश का किसान मौसम की मार सहने को अभिशप्त है। इससे किसानों की रक्षा के लिए तब की कांग्रेस सरकार ने 1985 में सेंट्रल क्राॅप इंश्योरेंस कंपनी बनाई। उसके बाद 1999 में सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चर इंश्योरेंस स्कीम बनाई जिसके लिए इंश्योरेंस का काम एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया करती थी। इसके अतिरिक्त न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी जैसी सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनियां भी फसल बीमा करती हैं।यह व्यवस्था थोड़ा-बहुत कमीबेशी के साथ सन् 2016 तक चलती रही।
इस बीच सन् 2014 मई में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। भाजपा ने चुनाव आयोग को दी रिपोर्ट के अनुसार पार्टी ने 714 करोड़ रुपए चुनाव पर खर्च किए थे। सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस ने लगभग दो सौ करोड़ कम 516 करोड़ खर्च किए थे। भाजपा की 2013-14 की ऑडिटेड बैलेंस शीट में 635 करोड़ " वालिंटरी कंट्रीब्यूशन "के रूप में दर्ज है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इतना बड़ा कंट्रीब्यूशन किनसे प्राप्त हुआ होगा।
प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने धनपति मित्रों का अहसान चुकाने की बारी मोदीजी की थी।सत्ता संभालने के मात्र बीस महिने बाद ही मोदीजी ने 1999 से चली आ रही नैशनल इंश्योरेंस स्कीम ऑफ इंडिया को बंद कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,2016 प्रारंभ कर इसमें सरकारी बीमा कंपनियों के अलावा प्रायवेट बीमा कंपनियां जैसे एयरटेल भारती की भारती अक्सा, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी,फ्यूचर समूह की फ्यूचर जनरल इंश्योरेंस, टाटा एआईजी,आईसीआईसीआई लोंबार्ड, एचडीएफसी अर्गो, इफ्को टोक्यो, चोलामंडलम जैसी प्रायवेट बीमा कंपनियों के लिए भी फसल बीमा क्षेत्र खोल दिया।
इन प्रायवेट बीमा कंपनियों ने किसानों के साथ क्या किया यह जानने के पहले जान लें सरकारी बीमा कंपनियों के काम को। 1985 में सरकारी बीमा कंपनी सीसीआईसी ने किसानों से 403.56 करोड़ प्रीमियम के एवज में पांच गुना से भी अधिक 2303 करोड़ रुपए बीमित राशि का भुगतान किसानों को किया।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना2016 में सरकारी क्षेत्र की न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने 4660 करोड़ प्रीमियम लेकर 5145 करोड़ के क्लेम किसानों को दिए। सरकारी क्षेत्र की ही ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने 3893 करोड़ प्रीमियम लेकर 4205 करोड़ बीमा राशि के चुकाए। सरकारी क्षेत्र की नैशनल इंश्योरेंस कंपनी ने 2514 करोड़ प्रीमियम लिया और 2574 करोड़ की बीमा राशि का भुगतान किया। आप जानते ही हैं कि जीवन बीमा हो या साधारण बीमा बीमित राशि हमेशा प्रीमियम से कई गुना अधिक होती है। प्रीमियम की राशि में किसान का योगदान 2 से 5% तक रहता है।शेष सब्सिडी के रूप में राज्य और केंद्र सरकार देती है। पुरानी योजना में प्रीमियम की राशि को कम रखने के लिए सरकार ने सब्सिडी की राशि पर कैपिंग रखा था यानी अधिकतम सीमा रखी थी।
नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रायवेट बीमा कंपनियों के प्रवेश करते ही मोदी सरकार ने प्रीमियम राशि पर सरकारी सब्सिडी पर कैपिंग या अधिकतम की सीमा समाप्त कर दी। अब प्रायवेट बीमा कंपनियां मनमाना प्रीमियम वसूलने के लिए मुक्त हो गईं।
अब आता है शीर्षक में लिखा फसल बीमा में 57000 करोड़ का घोटाला।
2016 से 2023 के बीच प्रायवेट बीमा कंपनियों ने रू 1,97,657 करोड़ प्रीमियम वसूला ( अनुमानित बीमा राशि लगभग 10 लाख करोड़)और प्रीमियम राशि से भी 57000 करोड़ कम 1,40,036 करोड़ ( अनुमानित बीमा राशि का मात्र 14%)ही किसानों के क्लेम सैटल किए।
प्रीमियम की अधिकतम राशि सब्सिडी के रूप में सरकारी यानी जनता के टैक्स का पैसा था जो प्रायवेट बीमा कंपनियों ने हड़प लिया। भारती अक्सा ने 72%,रिलायंस ने 59%,फ्यूचर ग्रुप ने 60% इफ्को टोक्यो ने 52% एचडीएफसी अर्गो ने 32% का घोटाला प्रीमियम राशि में किया।
इतना बड़ा घोटाला पता लगने के बावजूद सरकार ने जांच कमेटी बनाकर जांच करना भी जरूरी न समझा।
इलेक्टोरल बॉन्ड की तरह इस मामले में भी इस हाथ दे उस हाथ ले चला है। भारती अक्सा ने 235 करोड़ के इलेक्टोरल बांड में से 235 करोड़ के इलेक्टोरल बांड बीजेपी को देने के अलावा कंपनी ने अलग-अलग ट्रस्टों से भी 186 करोड़ के इलेक्टोरल बांड बीजेपी को दिए। रिलायंस और मोदीज के रिश्ते सभी जानते हैं। अन्य कंपनियों ने बीजेपी को दिए इलेक्टोरल बांड या डोनेशन्स का निश्चित आंकड़ा मिल न पाने से यहां नहीं दिया जा रहा है।
इस घोटाले की कीमत किसानों ने चुकाई। नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2021 में 10881 और 2022 में 11290 किसानों ने मुख्यतः कर्ज चुका न पाने के कारण आत्महत्या की। देश में हर घंटे एक किसान आत्महत्या करता है।
2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा करने वाले मोदीजी की सरकार का ये है असली चेहरा।
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मुंबई, 25 अप्रैल, 2024
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