आजाद भारत मे अपने चुनावी फायदे के लिये कांग्रेस और भाजपा बुर्जुवा राजनीति के तहत हिन्दुओ और मुस्लिमो के बीच साम्प्रदायिक जहर घोलने का काम करती रही है, जिसे संघ और भाजपा ने आज परवान चढ़ा दिया है। लगता है भाजपा ने तय कर लिया है - यूपी चुनाव मुस्लिमो की प्रताड़ना करके लड़ा जायेगा!
BJP का IT Cell लगातार मुस्लिमो के खिलाफ नफरत भड़काने वाला मैसेज भेजता रहता है। और लोग उसे बस फारवर्ड करते रहते है। और गाहे बगाहे उनके गुंडे गरीब मुस्लिमो पर जुल्म ढाते रहते है। कानून इन गरीब, कमजोर लोगो के साथ खड़ा नही होता।
देश में लगातार धार्मिक उनमाद फैला रहे लोगों का शिकार इस बार इंदौर के एक चूड़ी बेचने वाला हुआ है. चूड़ीवाला गिड़गिड़ाता रहा, वो पीटते रहे, गुनाह था-''हिंदू इलाके में क्यों आया?
और अब चूड़ी बेचने वाले युवक पर पास्को एक्ट में एफआईआर दर्ज कर दी गई है। इंसाफ का घण्टा उसे बजाने वाले पर ही गिर पड़ा है!
'जो पिट रहा है वो साफ दिख रहा है, जो पीट रहे हैं वो भी साफ वीडियो में दिख रहे हैं, वीडियो भी जो बनाया है वो भी पीटने वाले के साथ वालो में से ही किसी ने बनाया है, वीडियो भी उन्होंने ही वायरल कराया है, लेकिन सबसे गंभीर धाराओं में केस उस पर दर्ज किया गया है जो पिट रहा है।'
इस सब के बावजूद, बुर्जुवा स्वार्थ के वशीभूत हिन्दुओ और मुस्लिमो में घृणा फैलाने की राजनीति के बावजूद आजभी हिंदू और मुसलमान के बीच सहमिलन और सद्भाव के हजारों उदाहरण हमारे समाज में भरे पड़े हैं। पेश है इसी साझी सांस्कृतिक विरासत की एक झलक जो कृष्णकांत जी के पोस्ट से साभार लिया गया है:
"पिता पूजा करता है. बेटा नमाज पढ़ता है. पिता का नाम शंकर है. बेटे का नाम अब्दुल है. पिता का नाम जवाहर है तो बेटे का नाम सलाउद्दीन है. पति का नाम मोहन तो पत्नी का नाम रूबीना. पिता हिंदू है, लेकिन बेटा मुसलमान है. मां मुसलमान है लेकिन बेटा या बेटी हिंदू है. एक ही आंगन में दिया भी जलता है और नमाज भी अदा होती है. वे नवरात्र भी रखते हैं और रोजा भी रखते हैं. वे भगवान की पूजा भी करते हैं, वे अल्लाह की इबादत भी करते हैं.
आप सोच रहे हैं कि ये क्या घनचक्कर है! लेकिन ये हिंदुस्तान का सच है. हिंदुस्तान ऐसा ही है. हमने-आपने इसे ठीक से देखा-समझा नहीं है.
कुछ दिन पहले जिस राजधानी में लोगों को काटने का नारा लगाया गया है, वहां से कुछ ही घंटे की दूरी तय करके अजमेर पहुंचिए. आपको ऐसे परिवार मिल जाएंगे जो हिंदू भी हैं और मुस्लिम भी हैं. राजस्थान के करीब चार जिलों में एक समुदाय रहता है चीता मेहरात समुदाय. ये ऐसा समुदाय है, जहां एक ही परिवार में हिंदू और मुस्लिम दोनों होते हैं. कभी कभी तो एक ही व्यक्ति दोनों धर्म को एक साथ मानता है. ज्यादातर परिवार होली, दिवाली, ईद सब मनाते हैं. राजस्थान में इस समुदाय की संख्या करीब 10 लाख तक बताई जाती है.
माना जाता है कि इस समुदाय का ताल्लुक चौहान राजाओं से रहा है. इन्होंने करीब सात सौ साल पहले इस्लाम की कुछ प्रथाओं को अपनाया था. तबसे यह समुदाय एक ही साथ हिंदू मुसलमान दोनों है.
अजमेर के अजयसर गांव के जवाहर सिंह बताते हैं, 'मैं हिंदू हूं लेकिन मेरे बेटे का नाम सलाउद्दीन है. हमारे यहां भेद नहीं है. हम शादियां भी इसी तरह से करते हैं, सैंकड़ों वर्षों से यही होता आ रहा है.
इस गांव में एक ही जगह मंदिर और मस्जिद दोनों हैं. शादियों में जब लड़के की बारात निकलती है तो मंदिर और मस्जिद दोनों जगहों पर आशीर्वाद लिया जाता है. लड़कियों की शादी में कलश पूजन होता है, उसके बाद आपका मन हो तो फेरे लीजिए, मन हो निकाह कीजिए, मन हो तो दोनों कर लीजिए.
सिर्फ यही नहीं, असम के मतिबर रहमान भगवान शंकर के मंदिर की देखभाल करते हैं. यह काम उन्हें उनके पुरखों ने सौंपा है. 500 साल पुराने इस मंदिर की देखभाल मतिबर रहमान के पुरखे ही करते आए हैं. नीचे फोटो उन्हीं की है.
मैंने इधर बीच गौर किया कि कई लोग गंगा जमुनी तहजीब का मजाक उड़ाते हैं. सावरकर और जिन्ना की जोड़ी से प्रभावित कुछ लोगों का कहना है कि भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता की बात राजनीतिक है. वास्तव में दोनों अलग-अलग हैं. लेकिन अगर आप देखना चाहेंगे तो पाएंगे कि दोनों एक-दूसरे में इतने घुले-मिले हैं, कि फर्क करना मुश्किल है.
जो लोग हिंदू-मुस्लिम विभाजन का सपना देखते हैं, वे चीता मेहरात समुदाय को किस तरफ रखेंगे? समाज और संस्कृति की सुंदरता तो इसी में है कि जो जैसा है, उसे वैसा ही रहने दिया जाए. जब कोई नेता या पार्टी धार्मिक विभाजन का प्रयत्न करे तो आपको लाखों करोड़ों के बारे में सोचना चाहिए कि वे किधर जाएंगे? जो जैसे हैं, उनको वैसे रहने दीजिए. फिर हम आप सदियों तक गर्व से कह पाएंगे कि मैं उस हिंदुस्तान का बाशिंदा हूं जहां पर हर धर्म और हर भाषा के लोग घुलमिल कर रहते हैं और यही हमारी ताकत है: 'विविधता में एकता'.
कोई है जो हमारी अपनी सुंदरता को मिटाने पर तुला है लेकिन दुनिया भर की विद्रूपता को हम पर थोपना चाहता है. आपको अपनी यही सुंदरता बचानी है."
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी यही परंपरा है। वहां भी धर्म चुनने की आज़ादी है। एक ही परिवार में ईसाई, मुसलमान और हिन्दू धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। इस सन्दर्भ में अंडमान निकोबार द्वीप समूह एक यूनीक द्वीप समूह है।
लेकिन पूंजीवादी स्वार्थ हिन्दुओ और मुस्लिमो के बीच अपवादस्वरूप बचे सदियों पुराने इन रागात्मक सम्बन्धो की सुंदरता को कब नष्ट कर देगा और एक दूसरे के प्रति घृणा और नफरत से भरी दुनिया भर की पूंजीवादी विद्रूपता थोप देगा, इसकी कोई गारंटी नही है। इतना तो तय है कि पूंजीवाद के रहते इस सुंदरता को बचाना नामुमकिन है। और आज तो मन्दिग्रस्त लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था को बचाये रखने के लिये भगवा तालिबानी डर की सबसे अधिक जरूरत है।
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