Monday, 24 July 2023

मणिपुर भयावह समाचार

मणिपुर से एक के बाद एक भयावह समाचार आ रहे हैं ।15 मई को 18 साल की एक आदिवासी लड़की को मैतेई समुदाय के महिला संगठन" मीरा पैबिस"( मदर्स ऑफ मणिपुर) ने पकड़ा और उसकी पिटाई कर काले यूनिफॉर्म वाले सशस्त्र उग्रवादियों को गैंग  रेप और मारने के लिए सौंप दिया।मरणासन्न उस लड़की ने टीले की ऊंचाई से गिरकर जैसे तैसे अपनी जान बचाई। एक समय ऐसा था जब मैतेई समुदाय की महिलाएं,भारतीय क्रूर राज सत्ता,आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट ( आफस्पा) और भारतीय सेना के अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे थे। सन 2000 में  मनोरमा की सेना द्वारा गैंग रेप और क्रूर हत्या के बाद मणिपुर के मालोम में प्रदर्शन कर रहे सेना की असम राइफल्स के गोलीचालन से  कई लोग मारे गए। लौह मानवी इरोम शर्मिला इरोम शर्मिला चानू  ने निरंकुश कानून आफस्पा को खत्म करने के लिए १५ वर्षों तक लड़ाई जारी रखी,आमरण अनशन पर डटी रहीं।मणिपुर में माताओं के संगठन " आपुंबा लूप" ने उनकी लड़ाई को पूरा फैलाया।2004 में इंफाल में असम राइफल्स के मुख्यालय के सामने  इन्ही मेइती समुदाय की महिलाओं के निर्वस्त्र प्रदर्शन( जिसमे वे नारा लगा रही थीं की भारतीय सेना हमारा बलात्कार करो) ने पूरे देश को हिला दिया था।इसके अलावा मणिपुर में सत्तर दशक के नक्सलबाड़ी विद्रोह से प्रेरित होकर विश्वेश्वर सिंह के नेतृत्व में मार्क्सवाद- लेनिनवाद -माओ विचारधारा का झंडा ऊपर उठाकर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी  और प्रिपाक की गतिविधियों ने भारतीय शासन को बहुत परेशान किया था।मणिपुर में पहले वामपंथियों का कुछ प्रभाव भी था।इससे पहले मुझे याद नहीं आता की इस कदर मैतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़की हो।कुकी और नागा समुदाय के बीच झड़पें तो हुई हैं।लेकिन आज दुनिया के सबसे बड़े और पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस ने कितनी नफरत और विभाजन  पैदा की है कि पुरुषों के साथ साथ मेइती महिलाओं की ये दशा हो गई है।इरोम शर्मिला की क्रांतिकारी विरासत आज मिट्टी मे लोट रही है।



No comments:

Post a Comment

१९५३ में स्टालिन की शव यात्रा पर उमड़ा सैलाब 

*On this day in 1953, a sea of humanity thronged the streets for Stalin's funeral procession.* Joseph Stalin, the Soviet Union's fea...