शाब्बाश इंडियन एक्सप्रेस
कल का सम्पादकीय "In SC's Name" और आज का प्रमुख लेख "Gujrat 2002 Riots" जिसे लीना मिश्रा और सोहिनी घोष ने लिखा है, सभी ने पढ़ना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट को अगर अपनी गरिमा की सच में चिंता है तो इंडियन एक्सप्रेस द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए. परसों सुप्रीम कोर्ट ने ना सिर्फ़ मोदी जी को एकदम झकास क्लीन चिट अर्पित की बल्कि गुजरात में हुई 2002 की बर्बरता झेल रहे लोगों के साथ खड़े होने वाले जन सरोकार रखने वाली बहादुर महिला टीस्ता सीतलवाद और अपने विवेक को गिरवीं ना रखने वाले पुलिस अधिकारी पर 'मिलजुल कर मुद्दे को हरा रखने और राज्य की छवि ख़राब करने की साजिश की, आदि' के आरोप लगाए, मानो जैसे पुलिस को इशारा ही दिया जा रहा हो. दोनों कोतुरंत गिरफ्तार कर लिया गया.
न्याय की मूर्तियों, उस तर्क से तो सुप्रीम कोर्ट खुद भी गुनहगार है. इन न्यायमूर्तियों के बारे में मौजूदा न्यायमूर्तियों की क्या राय है? इस लेख में दी गई सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियों का हिंदी अनुवाद इस तरह है.
" बेस्ट बेकरी केस और बिलकिस बानो केस को गुजरात राज्य से बाहर शिफ्ट किया जाए क्योंकि न्याय नहीं हो रहा है..बेक़सूर बच्चे और महिलाएं जलाए जा रहे थे और आधुनिक नीरो दूसरी तरफ देख रहे थे..'बिगडैल बच्चों' को कानून के शिकंजे से बचाने की योजनाएं बना रहे थे..पूरी न्याय प्रणाली को अगवा कर लिया गया था, उसे तार तार किया जा रहा था, कुचला जा रहा था, विकृत किया जा रहा था, तोड़कर फेंका जा रहा था..सरकारी वकील जिसे क़सूरवारों को सज़ा दिलानी थी, आरोपियों के बचाव का वकील बन गया था..अदालतें मूक दर्शक बन रही थीं, गुजरात प्रशासन के रवैये में भी बहुत सी गंभीर कमियां थीं..डीजीपी साहब जब गवाह अपने बयानों से पलट रहे थे तो आपने एस पी से क्यों नहीं पूछा? पूछा था, सर, उन्होंने बताया की गवाहों को आरोपियों द्वारा 'जीत' लिया जा रहा है..अच्छा तो आपने पुलिस कमिश्नर से उस वक़्त पूछा जब सभी आरोपी रिहा हो गए!..दस मुकदमों को तुरंत रोक दिया जाए और उन्हें गुजरात से बाहर के राज्यों में भेजा जाए..एक सेल बनाई जाए और उन सभी मुकदमों को फिर से शुरू किया जाए जिनमें आरोपी रिहा हो चुके हैं..इनके अलावा सभी 2000 मुकदमों जिनमें फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है, फिर से खोला जाए, सभी की गहन जाँच की जाए..जो भी एनजीओ इस काम में मदद करना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने की छूट दी जाए, सभी मामलों की तह तक जाया जाए..धर्मांध लोग सबसे खतरनाक आतंकवादी होते हैं.."
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