Thursday, 26 May 2022

ज्योतिर्लिंग

भारत में बारह ज्योतिर्लिंग हैं, जो सती के बारह अंगों के बारह जगहों पर गिरने की वजह से स्थापित किए गए हैं। सती का शरीर आकाश में कटा और भारत के उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम में बारह जगहों पर गिरे। इन बारह जगहों पर गिरते इन अंगों को एक साथ ही देखा किसने। तब तो सैटेलाइट का जमाना भी नहीं था, और न ही इतनी दूर तक देखने वाले टेलिस्कोप का ही निर्माण हुआ था। तारीफ तो यह है कि उन कटे अंगों को न तो किसी पक्षी ने और न ही किसी शिकारी पक्षी ने ही खाया। क्या उन पशु-पक्षियों को भी यह पता हो गया था कि ये मांस के टुकड़े सती के ही हैं और जिनका खाना उनके लिए निषेध है? मुझे नहीं लगता है कि इससे बड़ी कोई दूसरी मूर्खतापूर्ण बात भी हो सकती है। ऐसी ही कपोल-कल्पित मूर्खतापूर्ण बातें लोगों के अवचेतन मन में सदियों तक प्रचार-प्रसार द्वारा इस कदर बैठा दिया गया है कि वह आजतक भी निकल नहीं पाया है। ऐसी ही अन्यान्य कपोल-कल्पित दंतकथाओं और डपोरशंखी अवधारणाओं को सामान्य लोगों के अवचेतन मन में बैठाए रखने के लिए ही तो बहुसंख्यक मेहनतकश अवाम को आजतक भी शास्त्र, शस्त्र और संपत्ति से वंचित रख गुलाम बनाकर रखा गया है, और यह क्रम आगे भी तबतक चलता रहेगा, जबतक कि पूरी आबादी को वैज्ञानिक शिक्षण पद्धति द्वारा शिक्षित और प्रशिक्षित कर वैज्ञानिक चेतना संपन्न न बनाया जाए। वैज्ञानिक शिक्षण पद्धति के अलावा और कोई भी दूसरा ऐसा तरीका नहीं है, जिससे वर्तमान मूर्खतापूर्ण परिदृश्य में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हो सके।

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