"मैं चकमा नहीं दे रहा. मैं कोई झंडा नहीं जला रहा. मैं कनाडा को नहीं भाग रहा. मैं यहाँ हूँ, आपके ठीक सामने. आप मुझे जेल भेजना चाहते हो? ठीक है, भेजो. मैं पिछले 400 सालों से जेल में ही रह रहा हूँ. हो सकता है मुझे आगे भी उतना ही और रहना पड़े लेकिन मै, क़ातिलों को ग़रीब और बेक़सूर लोगों का क़त्ल करने में मदद करने के लिए दस हज़ार मील दूर नहीं जाने वाला. अगर मैं मारना चाहूँगा तो मैं ठीक यहीं मरूँगा, अभी, आप से लड़ते हुए, अगर मैं मरना चाहूँगा. मेरा दुश्मन कोई चीन वाला, वियतनामी या जापानी नहीं है, मेरे दुश्मन तो आप हैं. जब मैं आज़ादी चाहता हूँ तो आप मुझे कुचलते हो. जब मैं न्याय मांगता हूँ तो आप मेरे दमनकारी बनते हो. जब मैं बराबरी चाहता हूँ तो आप मुझे कुचलते हो और आप चाहते हो कि मैं आपके लिए कहीं जाकर लडूं? मैं जब यहाँ अमेरिका में अपने अधिकारों और धार्मिक विश्वास के लिए लडूंगा तो आप तो मेरे साथ भी खड़े नहीं होगे. आप तो मेरे साथ मेरे घर पर भी खड़े नहीं होगे."
मुहम्मद अली, महान अमेरिकी मुक्केबाज़;
जब अमेरिका सरकार ने उन्हें वियतनाम में अमेरिकी फौज की ओर से लड़ने का हुक्म दिया और उन्होंने साफ इंकार कर दिया था. जिसके लिए उन्हें पांच साल की क़ैद हुई थी और तब उनका मुक्केबाजी का कैरियर बुलंदी पर था और चौपट हो गया था. उन्होंने ना सिर्फ़ अमेरिकी फौज में जाने से मना किया बल्कि वियतनाम युद्ध के लिए अमेरिका का ज़ोरदार विरोध किया था.
विख्यात अमेरिकी फिल्म कलाकार विल स्मिथ ने उन्हें अपना हीरो मानते हुए अपनी जीवनी 'विल' में ये उल्लेख किया है.
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