ये जो लोग उक्रेन से छात्रों को सुरक्षित लाने के लिए इतने चिंतित हैं, इन्होंने ये भी सोचना चाहिए कि इन छात्रों को उक्रेन चीन रूस जार्जिया न जाने कहां कहां जाना क्यों पडता है? इस देश में ऐसी सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था क्यों नहीं है जो सभी छात्रों को यहीं शिक्षा हासिल हो सके? यहां शिक्षा इतनी महंगी क्यों है कि सिर्फ अमीरों के लिए आरक्षित हो गई है? जिन्हें यहां मौका नहीं मिलता वो इन देशों में जाकर खरीद लेते हैं, पर यहां सबके लिए समान सुलभ सार्वजनिक सार्वत्रिक शिक्षा व्यवस्था का विरोध करते हैं। तब इन्हें टैक्सपेयर का पैसा याद आता है। अब सरकार इन्हें लाने की व्यवस्था करेगी तो किसका पैसा लगेगा रे?
एकमात्र आरक्षण जिसका विरोध करना चाहिए वह यह अमीरों वाला आरक्षण है। पर ये लोग विरोध करते हैं अगर वंचितों उत्पीडितों के लिए थोडी सी भी सुविधा दी जाये। तब इन्हें मेरिट याद आती है, ये उक्रेन वगैरह में कौन सी मेरिट से जाते हैं भाई, पैसे की मेरिट से न?
खैर, फिर भी हम इनकी तरह अपने साथी इंसानों से नफरत नहीं करते, वो तो इनके प्रिय मोदी शाह टाटा अंबानी अदानी का काम है जो ऐसी तकलीफ में भी तीन गुना भाडा मांगते हैं। हम तो इंसानी हमदर्दी वाले हैं। सरकार करे इन्हें लाने की व्यवस्था, हम नहीं करेंगे विरोध, टैक्सपेयर्स के पैसे के नाम पर।
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